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'डबल इंजन की सरकार..आदिवासी, बहन-बेटियां और छोटे बच्चों को गिरवी रखने के लिए मजबूर' राजकुमार रोत ने खोली विकास की पोल!

राजकुमार रोत ने कहा कि आज से बीस साल पहले आदिवासी गरीब दलित व्यक्ति अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए, अपने बच्चों की बीमारी का इलाज के लिए जमीन और जेवरात गिरवी रखता था, लेकिन आज समुदाय अपनी बहन-बेटियां और अपने छोटे बच्चों को गिरवी रख रहा है।

'डबल इंजन की सरकार..आदिवासी, बहन-बेटियां और छोटे बच्चों को गिरवी रखने के लिए मजबूर' राजकुमार रोत ने खोली विकास की पोल!

'समुदाय अपनी बहन-बेटियां और अपने छोटे बच्चों को गिरवी रख रहा है'.... सोमवार को डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने ये मुद्दा लोकसभा में उठाया। दक्षिण राजस्थान के आदिवासी बहुल इलाकों से नवजात शिशुओं और बच्चों को बेचने की घटनाएं कई बार सामने आईं है। ऐसा गरीबी के चलते हुआ। सोमवार को डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने इस गंभीर मुद्दे को लोकसभा में उठाया है।

मणिपुर का उदाहरण देकर राजकुमार रोत ने क्या कहा

राजकुमार रोत सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोल रहे थे। उसी दौरान उन्होंने आदिवासी मुद्दे को लेकर भी बात सदन में सभी के सामने रखी। उन्होंने कहा कि देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी हैं, लेकिन आज देश में आदिवासियों की हालत बहुत खराब है, वर्तमान में देखा गया है कि पूरे देश के अंदर अगर सबसे ज्यादा अगर कोई पीड़ित है, किसी पर अत्याचार हो रहा है, तो वो आदिवासी समुदाय है और उनकी महिलाएं हैं। आज मणिपुर का उदाहरण देख लें।

''समुदाय रख रहा अपनी बहन-बेटियां गिरवी''

राजकुमार रोत ने आदिवासी समाज की हालात को सदन में सामने रखा। गरीबी से परेशान आदिवासी समाज की हालत को लेकर राजकुमार रोत ने कहा कि आज से बीस साल पहले आदिवासी गरीब दलित व्यक्ति अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए, अपने बच्चों की बीमारी का इलाज के लिए जमीन और जेवरात गिरवी रखता था, लेकिन आज देखा गया है कि यह समुदाय अपनी बहन-बेटियां और अपने छोटे बच्चों को गिरवी रख रहा है। हमारे यहां डबल इंजन की सरकार है, लेकिन राजस्थान के अंदर आए दिन ऐसे घटनाक्रम हो रहे हैं।

राजस्थान विधानसभा में भी उठ चुका है ये मसला

ये गंभीर मसला राजस्थान विधानसभा में भी उठाया जा चुका है। बीते साल जुलाई में डूंगरपुर से कांग्रेस के विधायक गणेश घोघरा ने राजस्थान विधानसभा में इस मसले को उठाया था। उन्होंने कहा था कि माएं को अपने बच्चे बेचने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पर सरकार ने ये माना था कि आदिवासी इलाकों में बच्चों को बेचा जा रहा है। सरकार ने विधानसभा में यह माना था कि 2023 से 2024 तक ऐसे सात मामले सामने आये हैं। आपको बता दें, न्यूज़ वेबसाइट फ्री प्रेस जर्नल के मुताबिक, साल 2023 के जनवरी में उदयपुर की सवीना पुलिस ने एक मामले का खुलासा किया था। जिसमें एक महिला को सात महीने के बच्चे के साथ पकड़ा गया था। जोकि मासूम को दिल्ली में एक व्यक्ति को 2 लाख रुपये में बेचने वाली थी।