Rajasthan: विधानसभा में डोटासरा की दहाड़, क्या करने के मूड में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ? लिख दी सियासी पटकथा !
राजस्थान की राजनीति में गोविंद सिंह डोटासरा का बढ़ता प्रभाव। 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए बिसात बिछा रहे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ? जानें यहां।

जयपुर। राजस्थान की सियासत में सभी पार्टियां 2028 के विधानसभा चुनावाों के लिए बिसात बिछाना शुरू कर दी है। इलेक्शन में अभी कई साल बाकी हैं लेकिन जिस तरह से कांग्रेस पार्टी फ्रंट फुट पर खेल रही है वो वाकई देखने लायक है। इन दिनों पक्ष-विपक्ष के बीच विधानसभा सत्र में तनी हुई है। कांग्रेस ने बाबा किरोड़ी से लेकर एसआई भर्ती लीक मामले में सरकार को घेरा लेकिन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा किसी की है तो वह कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की है। सरकार को घेरना हो या फिर किसी नेता पर बयान देना डोटासरा का नाम सबसे पहले लिया जाता है। मौजूदा वक्त में शायद डोटासरा इकलौते नेता हैं जो धारदार तरीके से सत्तापक्ष पर हमलावर हैं।
दमदार बैटिंग के मूड में डोटासरा !
बता दें, जब 2020 में जब सचिन पायलट ने विधायकों और समर्थकों से दिल्ली में डेरा डाला था। कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा था क्या करें उस वक्त प्रदेशाध्यक्ष पद पायलट से छीनकर डोटासरा को दिया गया था। उस वक्त कांग्रेस के इस फैसले पर सवाल उठे थे लेकिन समय बीतता गया और डोटसरा मुखर होते गए। आज वह विपक्ष रहते हुए सत्तापक्ष के सबसे बड़े आलोचक के तौर पर देखे जाते हैं। 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले सूबे में कांग्रेस की फजीहत हो चुकी थी लेकिन डोटासरा ने अपना दायित्व निभाया। यही वजह रही पार्टी ने सत्ता गंवा दी हो लेकिन 70 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। जबकि लोकसभा चुनाव में 2014 के बाद कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। पायलट और डोटासरा की जोड़ी ने राजस्थान में ऐसा कमाल दिखा, 7 सांसद कांग्रेस के तो इंडिया गठबंधन के कुल 11 सांसद लोकसभा पहुंचे।
विधानसभा में 'फायर' हुए डोटासरा
बता दें,विधानसभा सत्र में सत्ता पक्ष से ज्यादा विपक्ष हावी दिख रहा है। चाहे किरोड़ीलाल मीणा का मुद्दा हो या फिर पेपर लीक या बजरी चोरी का। एक-एक डोटासरा ने सभी मुद्दों पर सरकार को घेरा है। वह 2020 से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष है लेकिन इस वक्त वह ज्यादा एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। दरअसल सियासी जानकार मानते हैं आने वाले समय में कांग्रेस राजस्थान में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अटकलें हैं 2018 में पार्टी को जीत दिलाने वाले सचिन पायलट अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं लेकिन पांच साल से प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाल रहे डोटासरा की राजनीति क्या होगी ये देखना दिलचस्प होगा। खैर ये तो कांग्रेस नेतृत्व तय करेगा राजस्थान की कमान किसे सौंपी जाएगी लेकिन जिस तरह से डोटासरा मंझे हुए तरीके से भजनलाल सरकार को आड़े हाथ ले रहे हैं वो सियासी पंडितों का ध्यान खींच रहा है।