जब Vasundhara Raje के खिलाफ भाई ने भरी हुंकार, चुनाव में हुआ बुरा हाल और फिर... पढ़ें ये दिलचस्प किस्सा
राजनीति में वसुंधरा राजे और माधवराव सिंधिया के बीच हुई चुनावी टक्कर, पारिवारिक कलह और राजनीतिक सफर की पूरी कहानी। जानिए कैसे भाई ने बहन को हराया।

राजस्थान की सियासत में वसुंधरा राजे का नाम हमेशा लिया जायेगा। वह अपनी बेबाकी और तेजतर्रार स्वाभाव के लिए जानी जाती हैं। राजनीतिक में महारानी के कई हिस्से मशहूर हैं लेकिन वह निजी जीवन को लेकर भी सुर्खियों में रही। पति जसवंत सिंह से तलाक हो या भाई माधोराव सिंधिया की बात अक्सर इस पर चर्चा होती रहती है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसा ही किस्सा बताएंगे जब राजे के खिलाफ उनके भाई खड़े हो गए और चुनावी में महारानी को करारी शिकस्त मिली।

वसुंधरा राजे और माधवराजे सिंधिया के बीच कोई अनबन नहीं थी लेकिन 1984 में जब पहली बार महरानी सियासी सफर शुरू किया तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसकी पीछे वजह कोई और नहीं बल्कि उनके भाई थे। दरअसल, माधवराजे सिंधिया और राजमाता विजयराजे सिंधिया के बीच अनबन जगजाहिर थी। चंबल क्षेत्र की भिंड-दतिया सीट राजमाता का प्रभाव था। उन्होंने वसुंधरा को प्रत्याशी बनाया, मां से तल्खी के कारण माधराव सिंधिया ने वसुंधरा का साथ न देकर बल्कि कृष्ण सिंह जूदेव का साथ दिया। कहा जाता है, जुदेव को चुनाव जिताने के पीछे सबसे बड़ा हाथ माधोराव का था। राजे को पहले चुनाव में भाई के कारण 90 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

वसुंधरा राजे मां विजयाराजे सिंधिया के पदचिन्हों पर चलते हुए बीजेपी के रहीं तो माधवराव सिंधिय ने अलग राह अपनाते हुए कांग्रेस को अपना बनाया। बेटे के इस फैसले से विजयाराजे खुश नहीं थीं। बात इतनी बढ़ी की दोनों के रिश्तों में खटास आ गई। मीडिया रिपोर्ट्स बताती है रिश्तों में दरार आने 1972 के आसपास हुई थी। 26 साल की उम्र में पहला चुनाव लड़ने वाले माधोराव सिंधिया लगातार नौ बार सांसद बनें। वह एक भी चुनाव नहीं हारे। यहां तक उन्होंने ग्वालियर सीट से वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी को चुनाव हराया था। माधवराव भले राजनीति में सफल रहे हों लेकिन मां से उनके संबंध कभी मुधर नहीं हो गए। राजमाता के आखिरी वक्त तक ये दूरियां कम नहीं हुई। बताया जाता है, राजामाता ने 12 पन्नों की वसीयत लिखी थी, जिसमें उन्होंने इकलौते बेटे से अंतिम संस्कार का संस्कार छीन लिया था, हालांकि राजा को अग्रिन माधवराव सिंधिया ने दी थी।