महाकुंभ 2025: बसंत पंचमी से शुरू होगी सबसे कठिन तपस्या, 350 साधक करेंगे 16 घंटे का कठोर तप
Date: Feb 02, 2025
By: Nitika Srivastava, Bharatraftar
क्या है खप्पर तपस्या?
यह धूनी साधना की सबसे कठिन श्रेणी होती है, जिसमें साधक सिर पर अग्नि से प्रज्वलित मटका (खप्पर) रखकर तपस्या करता है।
तपस्या की अवधि
यह कठोर साधना बसंत पंचमी से लेकर गंगा दशहरा तक चलती है और तीन साल तक निरंतर जारी रहती है।
तपस्या के 6 चरण
पंच, सप्त, द्वादश, चौरासी, कोटि और खप्पर श्रेणी। प्रत्येक चरण तीन साल तक चलता है, यानी पूरी तपस्या में 18 साल लगते हैं।
तपस्या की प्रक्रिया
शुरुआत पंच धूना से होती है, जहां साधु पांच स्थानों पर जलती अग्नि के बीच बैठकर साधना करते हैं। इसके बाद सात, 12, 84 और हजारों अग्नि कुंडों के मध्य तपस्या की जाती है।
दिगंबर अखाड़े की भागीदारी
दिगंबर, निर्मोही और निर्वाणी अखाड़े समेत खाक चौक में इस बार करीब 350 तपस्वी खप्पर तपस्या करेंगे।
वरिष्ठता का आधार
खप्पर तपस्या पूरी करने वाले साधकों को सबसे वरिष्ठ माना जाता है, और उनकी प्रतिष्ठा अखाड़ों व संत समाज में सर्वोच्च होती है।
कुछ संत दोबारा भी करते हैं तपस्या
कई संत इस कठिन तपस्या को पूरा करने के बाद दोबारा इसे आरंभ करते हैं, जिससे उनकी आध्यात्मिक शक्ति और बढ़ती है।
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