क्या है संगम नोज, क्यों लगती है यहां साधु संतों की भीड़, जानिए इसका महत्व

क्या है संगम नोज, क्यों लगती है यहां साधु संतों की भीड़, जानिए इसका महत्व

Date: Jan 30, 2025

By: Nitika Srivastava, Bharatraftar

क्या है संगम नोज?

संगम नोज वह स्थान है जहां गंगा और यमुना मिलती हैं और सरस्वती नदी अदृश्य रूप से प्रवाहित मानी जाती है। इसे हिंदू धर्म में तीर्थराज कहा जाता है।

क्यों उमड़ती है यहां साधु-संतों की भीड़?

महाकुंभ के दौरान अखाड़ों के साधु-संत सबसे पहले संगम नोज पर स्नान करते हैं, क्योंकि इसे अमृत स्नान का प्रमुख स्थल माना जाता है।

अमृत स्नान की खास तिथियां

महाकुंभ में अब तीन अमृत स्नान बचे हैं: बसंत पंचमी (3 फरवरी) माघ पूर्णिमा (12 फरवरी) महाशिवरात्रि (26 फरवरी) – अंतिम अमृत स्नान

गंगा और यमुना घाटों का महत्व

महाकुंभ में गंगा और यमुना के कई घाट हैं, लेकिन त्रिवेणी संगम घाट पर सबसे अधिक भीड़ होती है। इसके अलावा, काली घाट, सरस्वती घाट, किला घाट और अरेल घाट भी प्रमुख स्नान स्थल हैं।

अमृत स्नान का धार्मिक महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार, महाकुंभ के दौरान नदियों का जल अमृत तुल्य हो जाता है। इसमें स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कुंभ में स्नान का वैज्ञानिक पक्ष

पवित्र नदियों में स्नान करने से तनाव कम होता है, मन शांत होता है और शरीर ऊर्जावान महसूस करता है।

2025 महाकुंभ का समापन

26 फरवरी, महाशिवरात्रि के अमृत स्नान के साथ महाकुंभ का समापन होगा, जिसके बाद संगम नोज पर स्नान का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

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