कब और क्यों चढ़ाते हैं सोने की सीढ़ियां? जानिए सनातन धर्म की ये खास परंपरा
Date: Jan 03, 2025
By: Nitika Srivastava, Bharatraftar
सोने की सीढ़ियां चढ़ाना
सनातन धर्म में सोने की सीढ़ियां चढ़ाने का काफी ज्यादा महत्व है. इतना ही नहीं इसे परंपरा को निभाना भी बेहद जरूरी होता है.
कब चढ़ाते हैं सोने की सीढ़ियां?
परिवार में जो परदादा या परदादी बन जाते हैं. उन्हें ये सोने की सीढ़ियां चढ़ाई जाती है.
कौन चढ़ाता है?
ये परंपरा काफी पुरानी है. जिसे बच्चे के माता–पिता या बाबा–दादी कोई भी परदादा या परदादी को चढ़ा सकता है.
कैसे होती है रस्म?
सनातन धर्म में ये रस्म काफी पुरानी है. इस रस्म को पूरा करने के लिए एक छोटी सी सोने की सीढ़ी को गेहूं के ढेर पर रखते हैं.
बच्चे को देते हैं गोद
उसके बाद नवजात बच्चे को परदादा या परदादी की गोद में देते हैं. फिर उनके पैरों को जल से धोकर रोली और चावल से पैर की पूजा करते हैं.
सोने की सीढ़ी का स्पर्श
पैरों की पूजा करने के बाद सोने की सीढ़ी को उनके पैरों से स्पर्श कराया जाता है. जब ये रस्म पूरी हो जाती है, तो घर की बेटियों को ये सीढ़ी उपहार के रूप में दे दी जाती है.
मान्यता
इस रस्म के पीछे की मान्यता की बात करें, तो बड़े बुजुर्ग अपनी मृत्यु के बाद उसी सोने की सीढ़ी के जरिए स्वर्ग लोक में कदम रखते हैं.
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