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गृह प्रवेश का शुभ समय: क्यों जरूरी है पूजा, कलश और पहली रात घर में रहना?

गृह प्रवेश करते समय किन बातों का रखें ध्यान? जानें शुभ मुहूर्त, गणेश स्थापना, कलश परिक्रमा और दूध उबालने जैसी जरूरी परंपराएं जो घर में सुख-शांति लाती हैं।

गृह प्रवेश का शुभ समय: क्यों जरूरी है पूजा, कलश और पहली रात घर में रहना?

हर इंसान का सपना होता है कि उसका एक अपना घर हो. एक ऐसी जगह जहां वह न सिर्फ सिर छुपा सके, बल्कि चैन की नींद भी ले सके। लेकिन नए घर में प्रवेश सिर्फ ईंट-पत्थरों का मामला नहीं है, उसमें बसने से पहले कई सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। हिन्दू परंपरा में गृह प्रवेश महज एक रस्म नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक शुरुआत होती है।

गृह प्रवेश मुहूर्त क्यों है जरूरी?
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि गृह प्रवेश हमेशा शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। खासकर आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और पौष मास में गृह प्रवेश वर्जित होता है। इन महीनों को अशुभ माना गया है, क्योंकि इन दिनों ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति स्थिर ऊर्जा प्रदान नहीं करती।

पहली रात से ही घर में रहें
गृह प्रवेश की पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्य पहली रात उसी घर में रुकें, यह परंपरा अत्यंत शुभ मानी जाती है। घर में 40 दिन तक एक व्यक्ति का लगातार रहना शुभ ऊर्जा के प्रवाह को स्थिर बनाए रखता है। अगर घर को खाली छोड़ दिया जाए, तो माना जाता है कि नकारात्मक शक्तियां वहां प्रवेश कर सकती हैं।

गणेश स्थापना और वास्तु पूजा
घर में प्रवेश करते ही सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और एक विधिवत वास्तु पूजा जरूर कराएं। इससे घर के सभी कोनों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आने वाली समस्याओं से सुरक्षा मिलती है।

कलश यात्रा और फूलों की सजावट
गृह प्रवेश के दिन घर की महिला को जल से भरा कलश लेकर पूरे घर की परिक्रमा करनी चाहिए। इससे घर में सौभाग्य और मंगल की स्थापना होती है। हर कमरे में फूलों की सजावट करना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि फूल प्रेम, सौंदर्य और सुख का प्रतीक होते हैं।

दूध उबालने की परंपरा
गृह प्रवेश के दिन दूध उबालना भी शुभ माना जाता है। उबलते हुए दूध का मतलब है समृद्धि का बहाव और घर में कभी कमी न होने का संकेत। यह परंपरा न केवल भारतीय संस्कृति की जड़ें दिखाती है, बल्कि घर को ऊर्जा से भरने का प्रतीक भी है।