जावेद अख्तर का बड़ा खुलासा... क्यों बॉलीवुड सेलेब्स नहीं उठाते राजनीतिक मुद्दों पर आवाज?
जावेद अख्तर ने कपिल सिब्बल के पॉडकास्ट में बताया कि बॉलीवुड सेलेब्स राजनीतिक मुद्दों पर क्यों चुप रहते हैं। ईडी, सीबीआई और टैक्स रेड का डर सेलेब्स को बोलने से रोकता है। पढ़ें पूरी स्टोरी।

मशहूर गीतकार, पटकथा लेखक और सामाजिक टिप्पणीकार जावेद अख्तर एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार अपने उस बयान को लेकर जिसमें उन्होंने बताया कि आखिर क्यों बॉलीवुड के बड़े सेलेब्स राजनीतिक मुद्दों पर बोलने से कतराते हैं। जावेद अख्तर, जो अपने बेबाक और निडर अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं, ने कपिल सिब्बल के पॉडकास्ट में एक इंटरव्यू के दौरान इस चुप्पी के पीछे की असली वजह सामने रखी।
'डर है, इसलिए चुप हैं सेलेब्स'
इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने साफ-साफ कहा कि बॉलीवुड सेलेब्स इसलिए चुप नहीं रहते क्योंकि उनके पास कहने को कुछ नहीं है, बल्कि इसलिए कि उन्हें डर है।
उन्होंने कहा, “सेलेब्स के बीच एक धारणा बन चुकी है कि अगर उन्होंने राजनीतिक या संवेदनशील मुद्दों पर बात की, तो उनके खिलाफ ईडी, सीबीआई या इनकम टैक्स की कार्रवाई हो सकती है। फाइलें खोली जाएंगी, रेड होगी, और उन्हें परेशान किया जाएगा।”
मेरिल स्ट्रीप का उदाहरण और भारतीय डर
जावेद अख्तर ने साल 2017 के गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स का ज़िक्र किया, जब हॉलीवुड एक्ट्रेस मेरिल स्ट्रीप ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की थी।
उन्होंने कहा, “मेरिल स्ट्रीप ने अमेरिका के राष्ट्रपति को सार्वजनिक रूप से निशाना बनाया, लेकिन उन पर कोई इनकम टैक्स रेड नहीं पड़ी।”
इसके ज़रिए उन्होंने भारत की स्थिति पर परोक्ष कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत में सरकार की आलोचना करने पर कार्रवाई की आशंका होती है, और यही डर सेलेब्स को चुप रखता है।
'मैं बोलता हूं, लेकिन दूसरों को समझता हूं'
जावेद अख्तर ने खुद को एक 'बेबाक आवाज़' बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि जो लोग नहीं बोलते, उन्हें दोष देना सही नहीं होगा।
उनका कहना था कि, “ये लोग किसी और दुनिया में नहीं रहते, यही समाज है जो यह डर पैदा करता है। फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा होने का मतलब ये नहीं कि वे खुद को अलग महसूस करें। वे भी आम नागरिक हैं, बस चकाचौंध ज्यादा है।”
ट्रोल्स को जवाब देने से नहीं डरते जावेद अख्तर
जावेद अख्तर सरकार पर सवाल उठाने के लिए ट्रोलर्स का शिकार बनते रहे हैं।
लेकिन वह उन्हें जवाब देना भी जानते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “कभी-कभी आपको नीचे आकर बताना पड़ता है कि अगर आप अभिव्यक्ति की आज़ादी का गलत इस्तेमाल करेंगे, तो आपको उसी भाषा में जवाब मिलेगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके दोस्त उन्हें सलाह देते हैं कि ट्रोल्स को नजरअंदाज करें, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाते, "कभी-कभी नीचे आना जरूरी होता है।"