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परमाणु हमले में ज़िंदगी बचा सकता है पोटैशियम आयोडाइड, जानिए कैसे काम करता है ये छोटा सा करिश्मा

Radiation Safety Tips: परमाणु हमले की आशंका के बीच पोटैशियम आयोडाइड (KI) एक कारगर उपाय बनकर उभरा है। जानिए ये गोली कैसे थायरॉइड को रेडियोधर्मी आयोडीन से बचाकर ज़िंदगी बचा सकती है।

परमाणु हमले में ज़िंदगी बचा सकता है पोटैशियम आयोडाइड, जानिए कैसे काम करता है ये छोटा सा करिश्मा
जानिए कैसे काम करता है ये छोटा सा करिश्मा

जब किसी देश के सिर पर परमाणु हमले का खतरा मंडराने लगे और लोग अपनी खिड़कियों से आसमान को भय के साथ देखने लगें, तब एक छोटी सी गोली पोटैशियम आयोडाइड (KI) उम्मीद की किरण बनकर सामने आती है।

थायरॉइड को बचाने वाला रक्षक है KI गोली
KI गोली कोई जादुई सुरक्षा कवच नहीं है, लेकिन यह शरीर के उस अंग को बचाने में कारगर है जो परमाणु विकिरण के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है थायरॉइड ग्रंथि। परमाणु हमले के दौरान जब रेडियोधर्मी आयोडीन वातावरण में फैलता है, तो यह ग्रंथि उसे तुरंत सोख लेती है। लेकिन अगर पहले से KI गोली ले ली जाए, तो यह 'साफ आयोडीन' से थायरॉइड को भर देती है, जिससे ज़हरीला आयोडीन उसमें समाने नहीं पाता।

समय पर लिया गया कदम बना सकता है जीवनरक्षक उपाय
इस गोली का असर तब ही होता है जब इसे समय पर लिया जाए या तो हमले से पहले या कुछ ही घंटों के भीतर। देरी होने पर इसका असर काफी हद तक कम हो जाता है। यही वजह है कि दुनिया भर में न्यूक्लियर रिसाव या हमले की आशंका वाले क्षेत्रों में इसे आपातकालीन किट का हिस्सा माना जाता है।

बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे जरूरी
KI गोली का महत्व खासकर बच्चों, युवाओं और गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे ज़्यादा है। उनका थायरॉइड तेजी से काम करता है और रेडियोधर्मी आयोडीन का असर उन पर ज्यादा गहरा पड़ता है। सही समय पर यह गोली उन्हें थायरॉइड कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचा सकती है।

पूरे शरीर को नहीं, सिर्फ थायरॉइड को करता है सुरक्षित
यह जरूरी समझना होगा कि पोटैशियम आयोडाइड केवल थायरॉइड की रक्षा करता है। यह गामा किरणों, प्लूटोनियम या अन्य रेडियोधर्मी तत्वों से बचाव नहीं करता। इसलिए इसे परमाणु सुरक्षा का पूरा हल मानना गलत होगा यह सिर्फ एक हिस्सा है, लेकिन एक महत्वपूर्ण हिस्सा।

भारत में उपलब्धता अब भी सीमित
भारत में KI गोली आम मेडिकल स्टोर में नहीं मिलती। इसे आपातकालीन स्थिति में सरकार या सेना द्वारा वितरित किया जाता है विशेषकर परमाणु संयंत्रों के आसपास के इलाकों में। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए, इसकी उपलब्धता को लेकर लोगों में बेचैनी और जागरूकता दोनों बढ़ रही है।

एक गोली, जो बन सकती है उम्मीद की आखिरी दीवार
जैसे ही देश किसी परमाणु हमले की आशंका से जूझता है, तो बंकर, हथियार और तकनीक के अलावा, एक सस्ती, छोटी सी गोली भी जीवन बचाने की अहम भूमिका निभा सकती है। पोटैशियम आयोडाइड नाम भले ही वैज्ञानिक लगे, पर जरूरत के वक्त यह इंसानियत के सबसे करीब खड़ा नज़र आता है।

NOTE: अगर आप किसी बीमारी से पहले से ग्रसित हैं तो हमारी वेबसाइट इसे लेने की सलाह नहीं देता है, आप इसे डॉक्टर की सलाह के बिना लेने की गलती न करें.