डोटासरा का BJP पर जोरदार हमला, वन स्टेट, वन इलेक्शन के नाम पर पंचायती राज व्यवस्था का गला घोंट रही सरकार?
Rajasthan Politics : डोटासरा ने दावा किया कि सरकार ने संविधान की अवमानना करते हुए वन स्टेट, वन इलेक्शन का प्रचार कर 7,000 से अधिक ग्राम पंचायतों के चुनाव टाल दिए और प्रशासकों को नियुक्त कर दिया।

Rajasthan Politics : राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ की आड़ में पंचायती राज संस्थाओं को अस्थिर किया जा रहा है। डोटासरा ने अपने सोशल मीडिया पर सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा कि भाजपा की तानाशाही नीतियों के कारण पंचायती राज व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण लोकतंत्र खतरे में है।
भाजपा सरकार 'वन स्टेट, वन इलेक्शन' की आड़ में पंचायती राज व्यवस्था की शक्तियां छीनने और ग्रामीण संस्थाओं को अस्थिर करने का काम कर रही है।
— Govind Singh Dotasra (@GovindDotasra) February 4, 2025
भाजपा सरकार की तानाशाही से प्रदेश में जिस प्रकार पंचायती राज व्यवस्था में संविधान का उल्लंघन और जनप्रतिनिधियों के अधिकार छीने जा रहे हैं,…
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
डोटासरा ने दावा किया कि सरकार ने संविधान की अवमानना करते हुए वन स्टेट, वन इलेक्शन का प्रचार कर 7,000 से अधिक ग्राम पंचायतों के चुनाव टाल दिए और प्रशासकों को नियुक्त कर दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से जवाब मांगा है। वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर तंज कसते हुए डोटासरा ने कहा कि "सरकार पंचायती राज व्यवस्था का गला घोंट रही है और इधर सरपंचों और पंचों से अभिनंदन करा रही है।"
गांवों की सरकार पर प्रशासकों का कब्जा?
कांग्रेस नेता ने भाजपा सरकार पर ये भी आरोप लगाया कि पंचायती राज अधिनियम के तहत 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद छह महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है, लेकिन सरकार लगातार इसे टाल रही है। उन्होंने दावा किया कि सरकार वन स्टेट, वन इलेक्शन के नाम पर गांव की सरकारों में प्रशासक बैठाकर लोकतांत्रिक व्यवस्था का दमन कर रही है।
3,000 से अधिक कार्मिकों का अवैध तबादला
डोटासरा ने खुलासा किया कि सरकार नियमों की अनदेखी कर रही है और पंचायती राज संस्थाओं में तानाशाही रवैया अपना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम विकास अधिकारियों, कनिष्ठ सहायकों समेत 3,000 से अधिक कर्मचारियों को एक जिले से दूसरे जिले में कार्यव्यवस्थार्थ भेज दिया गया, जो कि नियमों के खिलाफ है।
5000 करोड़ रुपए की राशि रोककर बैठी सरकार
पंचायती राज संस्थाओं को राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली राशि को लेकर भी सरकार कटघरे में है। डोटासरा के अनुसार, सरकार 5,000 करोड़ से अधिक की राशि रोक कर बैठी है। उन्होंने बताया कि 2024-25 में राज्य वित्त आयोग से प्राप्त 3,800 करोड़ रुपये और 2023-24 की दूसरी किश्त के 1,400 करोड़ रुपये अब तक जारी नहीं किए गए हैं। इससे पंचायतों के विकास कार्य ठप पड़ गए हैं।
OBC सर्वे पर भी सरकार उदासीन
डोटासरा ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर भी भाजपा को घेरा। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ओबीसी सर्वे करवा कर पंचायती राज व्यवस्था में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं कर रही है। उन्होंने इसे पिछड़े वर्गों के साथ अन्याय करार दिया।
पंचायत चुनाव से भाजपा को डर
डोटासरा ने सीधा सवाल किया कि भाजपा सरकार को पंचायत चुनाव कराने में आखिर डर क्यों लग रहा है? उन्होंने कहा कि भाजपा लोकतंत्र की हत्या करने पर तुली हुई है और यदि समय रहते चुनाव नहीं कराए गए, तो कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाएगी और आंदोलन करेगी।
राजस्थान में पंचायत चुनावों को लेकर गरमाई राजनीति अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुकी है। देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या पंचायती राज व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जल्द चुनाव कराए जाते हैं या नहीं।