Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

Trending Visual Stories और देखें
विज़ुअल स्टोरी

हैदराबाद के निज़ामों की मोहब्बत तुर्की से! खलीफा की बेटियों से हुई शाही शादियां, लेकिन आगे जो हुआ वो हैरान कर देगा

हैदराबाद के निज़ामों और तुर्की के खलीफाओं के बीच ऐतिहासिक वैवाहिक रिश्ते, शाही प्रेम, शहजादियों की भारत यात्रा और एक-से-बढ़कर एक शादियों की पूरी कहानी पढ़िए इस लेख में।

हैदराबाद के निज़ामों की मोहब्बत तुर्की से! खलीफा की बेटियों से हुई शाही शादियां, लेकिन आगे जो हुआ वो हैरान कर देगा

भारत की रियासतों में सबसे अमीर और ताकतवर मानी जाने वाली हैदराबाद रियासत का रिश्ता केवल भारत तक सीमित नहीं था। निज़ामों का दिल और संबंध तुर्की के उस्मानी सल्तनत से जुड़े हुए थे। एक दौर में हैदराबाद के निज़ाम तुर्की के खलीफा से न सिर्फ आध्यात्मिक रूप से जुड़ाव रखते थे, बल्कि उन्होंने अपने बेटों की शादियां तुर्की की शहजादियों से करवा कर इस रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बना दिया।

बीसवीं सदी की शुरुआत में जब उस्मानिया सल्तनत अपने पतन की ओर बढ़ रही थी, खलीफा अब्दुल मजीद द्वितीय अपने परिवार के साथ फ्रांस में निर्वासित जीवन बिता रहे थे। वहीं, भारत के सबसे अमीर शासक हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान अपने बेटों के लिए ऐसे रिश्ते तलाश रहे थे, जो न सिर्फ रुतबे वाले हों बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से भी मेल खाते हों।

12 नवंबर 1931 को फ्रांस के नीस शहर में ऐतिहासिक और शाही शादी हुई। खलीफा की बेटी प्रिंसेस दुर्रू शेहवार की शादी निज़ाम के बड़े बेटे प्रिंस आज़म जाह से हुई, जबकि उनके भाई की बेटी प्रिंसेस नीलोफ़र का विवाह छोटे बेटे प्रिंस मौज़म जाह से हुआ। दोनों शहजादियां भारत आईं और हैदराबाद के राजमहलों की शान बन गईं।

दुर्रू शेहवार ने सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी ली और हैदराबाद की जनता के बीच बहुत लोकप्रिय हुईं। वहीं नीलोफ़र अपनी खूबसूरती और शालीनता के लिए जानी गईं, लेकिन उनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखद नहीं रहा। दोनों के लिए भारत की सामाजिक संरचना, संस्कृति और वातावरण में ढलना आसान नहीं था।

जब सातवें निजाम का निधन हुआ, तो उन्होंने अपने बेटों के बजाय पोते मीर बरकत अली खान मुकर्रम जाह को उत्तराधिकारी घोषित किया, जो आज़ाद भारत में आठवें निजाम कहे गए।

आठवें निज़ाम मुकर्रम जाह का दिल भी तुर्की में ही बसा था। उनकी पहली पत्नी प्रिंसेस एजरा तुर्की के संभ्रांत परिवार से थीं, लेकिन यह रिश्ता ऑस्ट्रेलिया जाकर टूट गया। उन्होंने बाद में तुर्की की पूर्व मिस तुर्की मनोलिया ओनूर से शादी की, जो भी ज्यादा दिन नहीं चली।

मुकर्रम जाह की पांच शादियां हुईं, जिनमें तुर्की, मोरक्को, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की महिलाएं थीं, लेकिन उनका दिल हमेशा तुर्की की शाही रगों में ही बहता रहा।

हैदराबाद और तुर्की के बीच ये ऐतिहासिक रिश्ते आज भी इस बात के गवाह हैं कि शाही रियासतें सिर्फ सत्ता की नहीं, भावनाओं और इतिहास की भी गहरी कहानियां होती हैं।