राजस्थान में एम-सैंड प्लांट्स की ई-नीलामी जल्द, 77 नए प्लॉट होंगे उपलब्ध, बजरी माफिया को लगेगा तगड़ा झटका
राजस्थान में बजरी की जगह अब एम-सैंड को मिलेगा बढ़ावा। सरकार करेगी 77 प्लॉट्स की ई-नीलामी, जिससे माइनिंग राजस्व बढ़ेगा और अवैध खनन पर लगेगा ब्रेक।

राजस्थान में बजरी के अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए सरकार अब एम-सैंड (M-Sand) को तेजी से बढ़ावा दे रही है। इस दिशा में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए 77 प्लॉट्स की ई-नीलामी की घोषणा की है, जिन पर एम-सैंड यूनिट्स की स्थापना की जाएगी। यह कदम न केवल पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में है, बल्कि राजस्व वृद्धि और अवैध माइनिंग पर लगाम लगाने का भी एक मजबूत प्रयास है।
क्या है एम-सैंड और क्यों जरूरी है?
एम-सैंड यानी मैन्युफैक्चर्ड सैंड, बजरी का कृत्रिम और टिकाऊ विकल्प है, जो कठोर चट्टानों को अत्याधुनिक क्रशिंग तकनीक से तैयार किया जाता है। यह निर्माण कार्यों के लिए अधिक टिकाऊ, एकसमान और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प बन चुका है।
77 प्लॉट्स की होगी डिजिटल नीलामी
खनन विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकान्त ने जानकारी दी कि राज्य में एम-सैंड इकाइयों के लिए 109 प्लॉट चिन्हित किए गए हैं। इनमें से 77 प्लॉट (158 हेक्टेयर) और ओवरबर्डन डंपिंग के 32 प्लॉट (131 हेक्टेयर) ई-नीलामी के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
अब तक 26 प्लॉटों की हो चुकी है सफल नीलामी
बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड की आपूर्ति बढ़ाने के लिए 26 प्लॉट पहले ही सफलतापूर्वक नीलाम किए जा चुके हैं। इससे न सिर्फ निर्माण कार्यों को बल मिलेगा, बल्कि अवैध खनन पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।
राजस्व और वैध खनन को मिलेगा बढ़ावा
बैठक के दौरान रविकान्त ने कहा कि राजस्व बढ़ाने और अवैध खनन को रोकने के लिए नीलामी की प्रक्रिया को और तेज़ करने की जरूरत है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि पुराने बकायों की वसूली और नई संभावनाओं की पहचान पर जोर दिया जाए।
22 मेजर मिनरल ब्लॉक्स की भी शुरू हो चुकी है नीलामी प्रक्रिया
खनिज निदेशक दीपक तंवर ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही 22 बड़े खनिज ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एम-सैंड प्लॉट्स के साथ माइनर मिनरल और अन्य ठेकों की नीलामी भी जारी है।