हर साड़ी कुछ कहती है...चुनाव मंच हो या मंदिर दर्शन, हर जगह बस होती है महारानी के पहनावे की बात, इसमें है कुछ खास
Vasundhra Raje Royal Look: वसुंधरा राजे की साड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि एक राजसी सोच, परंपरा और राजनीतिक पहचान का हिस्सा है। जानिए उनकी साड़ियों के पीछे की रोचक कहानियां।

वसुंधरा राजे की साड़ी का केलक्शन: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया न सिर्फ अपनी राजनीतिक सूझबूझ के लिए जानी जाती हैं, बल्कि उनकी साड़ियों की खूबसूरती और चुनाव भी उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा बन चुकी है। कहीं भी जाएं चाहे चुनावी मंच हो या विधानसभा, उनका ट्रेडमार्क लुक लगभग हमेशा एक खास साड़ी में दिखाई देता है।
राजघराने की झलक लिए रंग और बनावट
वसुंधरा राजे की साड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि उनकी राजघराने की विरासत की प्रतीक है। ग्वालियर के सिंधिया परिवार से ताल्लुक रखने वाली वसुंधरा अक्सर चटक रंगों वाली सिल्क, चंदेरी या बनारसी साड़ियों में नजर आती हैं। साड़ियों के रंगों का चयन बहुत ही सोचा-समझा होता है चुनावी मौसम में भगवा या गेरुआ, जबकि किसी दुखद मौके पर हल्के रंगों की साड़ी पहनना उनकी परंपरा को दर्शाता है।
हर साड़ी के पीछे एक कहानी
उनके करीबियों का कहना है कि वसुंधरा राजे अपनी हर साड़ी को बहुत सोच-समझकर पहनती हैं। कई बार वो लोकल बुनकरों से साड़ी मंगवाती हैं, ताकि स्थानीय कारीगरी को बढ़ावा दिया जा सके। यहां तक कि कई बार वो खुद साड़ी की डिज़ाइन में इनपुट देती हैं। उनके कुछ कार्यक्रमों में पहनी गई खास साड़ियों की मांग आम जनता और महिलाओं में इतनी बढ़ जाती है कि बाजार में उसकी कॉपी उपलब्ध होने लगती है।
जब साड़ी बनी चर्चा का विषय
2018 के विधानसभा चुनावों में उनकी एक गुलाबी रंग की सिल्क साड़ी चर्चा का विषय बनी थी। सोशल मीडिया पर उस साड़ी की तस्वीर वायरल हो गई थी, जिसमें लोगों ने कहा "ये सिर्फ साड़ी नहीं, रणनीति है!" चुनाव विश्लेषकों ने भी इसे "पब्लिक कनेक्ट टूल" बताया।
एक फैशन स्टेटमेंट से बढ़कर
वसुंधरा राजे की साड़ी अब एक राजनीतिक शैली का प्रतीक बन चुकी है। ये केवल कपड़ा नहीं, बल्कि एक सोच, एक परंपरा और एक कनेक्शन है जनता से, संस्कृति से और सत्ता से।