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सत्यसंग के नाम पर महिलाओं से छेड़छाड़, आसाराम के वकील और डॉक्टर पर गंभीर आरोप, पीड़िता बोली – पुलिस ने नहीं सुनी फरियाद

21 जुलाई 2024 को जब पीड़िता आसाराम के जोधपुर स्थित पाल रोड आश्रम में गुरू पूर्णिमा पर ऑनलाइन सत्संग सुनने आई थी। पीड़िता के साथ छह अन्य बहनें भी सत्संग में शामिल थीं।

सत्यसंग के नाम पर महिलाओं से छेड़छाड़, आसाराम के वकील और डॉक्टर पर गंभीर आरोप, पीड़िता बोली – पुलिस ने नहीं सुनी फरियाद

जोधपुर। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। जोधपुर स्थित उनके आश्रम में कुछ महिलाओं के साथ लज्जा भंग करने का मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश की एक महिला ने आसाराम की लीगल टीम और स्वास्थ्य टीम से जुड़े चार सेवादारों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता ने पंकज मीरचंदानी उर्फ अर्जुन (आसाराम की लीगल टीम का प्रमुख), डॉ. सचित भोला (स्वास्थ्य टीम का प्रमुख), चेतनराम साहू और जीवन के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है।

सत्यसंग में शामिल होने आई महिलाओं के साथ छेड़छाड़

घटना 21 जुलाई 2024 की बताई जा रही है, जब पीड़िता आसाराम के जोधपुर स्थित पाल रोड आश्रम में गुरू पूर्णिमा पर ऑनलाइन सत्संग सुनने आई थी। पीड़िता के साथ छह अन्य बहनें भी सत्संग में शामिल थीं। आश्रम के कुछ सेवादारों ने उन्हें आसाराम के केस से जुड़ी जानकारी देने के बहाने ऊपर बुलाया, जहां उनके साथ छेड़छाड़ और अभद्र हरकतें की गईं।

पीड़िता के अनुसार, ऊपर जाते ही चारों आरोपियों ने महिलाओं को पकड़ लिया और धकेलते हुए आपत्तिजनक हरकतें करने लगे। भयभीत होकर एक महिला नीचे भागी और अन्य साधकों को घटना की जानकारी दी। जब अन्य साधक मौके पर पहुंचे तो पंकज मीरचंदानी खिड़की से कूदकर भाग गया, जबकि चेतन ने खुद को कमरे में बंद कर लिया।

पुलिस ने नहीं सुनी फरियाद

पीड़िता ने इस घटना की शिकायत तुरंत बोरानाडा पुलिस थाने में की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उसने 22 जुलाई और 3 अक्टूबर को पुलिस कमिश्नर को लिखित शिकायत दी, लेकिन मामला दर्ज नहीं हुआ। आखिरकार, इस्तगासे के जरिए मामला दर्ज कराया गया, जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर सहायक उपनिरीक्षक लक्ष्मण सिंह को जांच की जिम्मेदारी सौंपी।

क्या कहती है पुलिस?

पुलिस का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि, पीड़िता का आरोप है कि पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की और आरोपियों को बचाने में देरी की।