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जैसलमेर के बासनपीर में छतरियों के पुनर्निर्माण पर सियासी संग्राम 

थार की सियासत में बासनपीर विवाद,भाटी Vs चौधरी में तकरार 
जैसलमेर में छतरियों के निर्माण से शुरू हुआ विवाद, थार में सियासी बवाल
बासनपीर में छतरियों पर सियासी जंग—पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे का आरोप
भाटी बोले- असली दुश्मन पहचानो,चौधरी बोले—भाईचारे की राजनीति करेंगे

जैसलमेर के बासनपीर में छतरियों के पुनर्निर्माण पर सियासी संग्राम 

जैसलमेर के बासनपीर गांव में जुलाई 2025 में छतरियों के पुनर्निर्माण को लेकर शुरू हुआ विवाद अब राजस्थान की सियासत में तूफान बन चुका है। यह मामला इतना बढ़ गया कि निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी और कांग्रेस नेता हरीश चौधरी आमने-सामने आ गए। बासनपीर में दो छतरियों, जुझार रामचंद्र सिंह सोढ़ा और जुझार पालीवाल जी की, के निर्माण के दौरान एक समुदाय के लोगों ने पथराव किया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। इस घटना ने थार की एकता को चोट पहुंचाई और सियासी नेताओं ने इसे अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश की। रविंद्र भाटी ने इस मौके पर लोगों से कहा, "अपने असली दुश्मन को पहचानो," जिसका इशारा हरीश चौधरी और कांग्रेस की ओर था। दूसरी तरफ, बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि कांग्रेस की रैली में "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगे, जिसे हरीश चौधरी ने एडिटेड वीडियो का हवाला देकर खारिज किया। 

आखिर यह मामला क्या है, और भाटी-चौधरी क्यों भिड़े ? 
बासनपीर जूनी गांव में छतरियों का पुनर्निर्माण 7 जुलाई 2025 को शुरू हुआ। ये छतरियां ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की हैं, जिन्हें स्थानीय लोग श्रद्धा से देखते हैं। निर्माण के दौरान एक समुदाय के लोगों ने विरोध जताया और पथराव शुरू कर दिया। घायल गणपत सिंह ने आरोप लगाया कि प्रशासन मूकदर्शक बना रहा, और महिलाओं को आगे कर पथराव करवाया गया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी बल तैनात किया और 24 लोगों को हिरासत में लिया। इसके बाद रविंद्र भाटी, जो शिव से निर्दलीय विधायक हैं, गांव पहुंचे और ग्रामीणों से बात की। उन्होंने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि कुछ नेता थार की एकता को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं। भाटी ने अपने बयान में कहा, "अपने असली दुश्मन को पहचानो," जिससे उनका इशारा हरीश चौधरी की ओर माना गया। भाटी ने चौधरी पर नफरत फैलाने और सियासी फायदा उठाने का आरोप लगाया, और कहा कि उनकी "दुकान में नफरत भरी है, जबकि बाहर से भाईचारा दिखाते हैं।" . हरीश चौधरी, जो बायतु से कांग्रेस विधायक और मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रभारी हैं, ने इस विवाद को शांत करने के लिए 19 जुलाई को बासनपीर में रामधुन संकीर्तन यात्रा निकालने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा थार की एकता और भाईचारे को बढ़ाने के लिए है, लेकिन जैसलमेर प्रशासन ने धारा 163 लगाकर उनकी यात्रा पर रोक लगा दी। चौधरी ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए और भाटी के बयानों को सियासी स्टंट बताया। इस बीच, बीजेपी नेताओं ने एक वीडियो के आधार पर दावा किया कि चौधरी की रैली में "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारे लगे। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया, और बीजेपी ने इसे कांग्रेस के खिलाफ बड़ा हथियार बनाया। हरीश चौधरी ने तुरंत जवाब दिया कि यह वीडियो एडिटेड है और उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा, "थार के लोग एकता में विश्वास रखते हैं, और हम नफरत की सियासत को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"

यह विवाद और पुरानी सियासी दुश्मनी 
यह विवाद भाटी और चौधरी के बीच पुरानी सियासी दुश्मनी को भी उजागर करता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर भाटी और चौधरी के बीच तीखी बयानबाजी हुई थी। भाटी ने चौधरी पर परिवारवाद और ठेकों में पक्षपात का आरोप लगाया, जबकि चौधरी ने भाटी को जातिवाद और नफरत फैलाने वाला बताया। बासनपीर मामला इस दुश्मनी को नया आयाम दे गया। भाटी के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर चौधरी को "ठग ऑफ थार" कहकर निशाना साधा, जबकि चौधरी ने भाटी को सांप्रदायिक और उग्रवादी करार दिया। गांव में तनाव के बाद स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम हो गई, और सन्नाटा पसर गया। पुलिस ने स्थिति को काबू में बताया, लेकिन सियासी हलचल थमने का नाम नहीं ले रही। भाटी के बयान ने ग्रामीणों में जोश भरा, लेकिन कई लोगों ने इसे एकता के खिलाफ बताया। दूसरी तरफ, चौधरी की रैली पर रोक और वीडियो विवाद ने कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया। पुलिस अब वीडियो की जांच कर रही है ताकि यह पता चल सके कि नारे लगे या वीडियो वाकई एडिटेड है। इस पूरे मामले ने थार की सियासत को गरमा दिया है, और लोग अब यह देख रहे हैं कि यह विवाद आगे क्या रुख लेगा। अब सवाल ये है कि इस विवाद का अंत क्या होगा ? क्या थार की एकता बच पाएगी या राजनीति की आग और भड़केगी ?