Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

Trending Visual Stories और देखें
विज़ुअल स्टोरी

हनुमान बेनीवाल को नहीं मिल रहा युवाओं का साथ ? धरने पर पड़े अकेले, छात्रों ने क्यों मोड़ा मुंह? जानें यहां

राजस्थान में एसआई भर्ती परीक्षा रद्द को लेकर हनुमान बेनीवाल धरने पर बैठे हैं, लेकिन छात्रों का साथ उन्हें उम्मीद के मुताबिक नहीं मिल रहा है। बेनीवाल का आंदोलन क्या युवाओं की उम्मीदें पूरी कर पाएगा?

हनुमान बेनीवाल को नहीं मिल रहा युवाओं का साथ ? धरने पर पड़े अकेले, छात्रों ने क्यों मोड़ा मुंह? जानें यहां

जयपुर। इस वक्त प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस-बीजेपी से ज्यादा नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल का नाम छाया है। कभी भजनलाल शर्मा तो कभी सचिन पायलट पर निशाना साधने वाले इन दिनों धरने पर बैठे हैं। ये धरना है छात्रों के जीवन और उनके भविष्य से जुड़ा। जहां एसआई भर्ती परीक्षा पर सरकार अभी तक फैसला नहीं ले पाई है। बेनीवाल का कहना है, कितने बच्चे परीक्षा रद्द होने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकार सो रही है। उन्होंने चेतावनी दी यदि सरकार नहीं सुनती है तो बड़े स्तर पर प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा। यहां तक तो ठीक था लेकिन कई राजनीतिक एक्सपर्ट्स इसे सियासत के नजर भी देख रहे हैं। देख जाए तो बेनीवाल धरना जरूर दे रहे हैं लेकिन उन्हें युवाओं का साथ नहीं मिल जिस तरह से मिलना चाहिए। आखिर इसके पीछे के क्या कारण हैं ये जानने की कोशिश करते हैं। 

हनुमान बेनीवाल से नाराज राजस्थान का युवा ?

बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों ही चुनावों के दौरान भर्ती परीक्षा का मुद्दा उठाती हैं लेकिन जैसे सरकार बनती है। दलों के वादे भी हवा-हवाई हो जाते हैं। बीजेपी ने चुनावी पत्र में एसआई पेपर लीक से जुड़े लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाने की बात कही थी लेकिन भजनलाल सरकार को सत्ता में आए ढेड़ साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। अभी तक परीक्षा रद्द नहीं की गई। छात्र मानते हैं, नेताओं के लिए ये अब एक राजनीतिक मुद्दा बनकर रह गया। जिस वजह छात्र भी नेताओं का साथ देने से दूरी बना रहे हैं। 

हनुमान बेनीवाल भले छात्रों के लिए धरने पर बैठे हों लेकिन उनका बयान और बड़बोलापान कही न कही विद्यार्थियों को पसंद नहीं आ रही है। वह मुद्दे से भटककर भजनलाल शर्मा, सचिन पायलट पर आ जाते हैं। यही वजह है, छात्र अब अपने मुद्दे से किसी भी नेता को राजनीतिक मंच देने से परहेज कर रहे हैं। 

कई सियासी जानकार मानते हैं, हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी ने कभी बड़े स्तर पर कोई आंदोलन नहीं किया है। यहां तक खुद बेनीवाल भी समर्थकों वाली भीड़ के साथ आते-जाते रहे हैं। सबसे बड़ा उदाहरण जयपुर से हरियाणा बॉर्डर है। यहां पर समर्थक बेनीवाल के साथ तो गए लेकिन वो भीड़ नजर नहीं आई। नतीजन 2-3 दिन में हनुमान बेनीवाल को भी वापस आना पड़ा। ऐसे में छात्र वक्त जाया करने के बजाय सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। देखना होगा, बेनीवाल का ये धरना छात्रों के लिए नई दिशा खोल पाता है या नहीं।