ऑपरेशन सिंदूर में शशि थरूर को मोदी सरकार से जिम्मेदारी, लेकिन कांग्रेस की लिस्ट से नदारद! पार्टी में शुरू घमासान?
Operation Sindoor Shashi Tharoor: ऑपरेशन सिंदूर के तहत मोदी सरकार ने शशि थरूर को अंतरराष्ट्रीय डेलिगेशन में शामिल किया, लेकिन कांग्रेस की आधिकारिक लिस्ट से उनका नाम गायब। जानिए इसके पीछे का राजनीतिक विवाद।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर घेरने की रणनीति में मोदी सरकार ने कांग्रेस नेता शशि थरूर को भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया है। सरकार की ओर से जारी मल्टी-पार्टी डेलिगेशन की सूची में थरूर का नाम प्रमुखता से सामने आया है। लेकिन इस बीच कांग्रेस पार्टी ने खुद जो चार नाम सरकार को सौंपे हैं, उनमें थरूर का नाम गायब है।
अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या थरूर को लेकर कांग्रेस में अंदरूनी विरोध है? क्या उन्हें सरकार ने सीधे तौर पर आमंत्रित किया है? और क्या यह कदम राहुल गांधी के चयन पर सवाल खड़ा कर रहा है?
सरकार की लिस्ट में शामिल, कांग्रेस की लिस्ट में नहीं – क्यों?
मोदी सरकार ने 7 अंतरराष्ट्रीय डेलिगेशन टीमों के लिए सांसदों का चयन किया है। शशि थरूर को इन डेलिगेशन में शामिल करने की योजना थी ताकि वे विदेशों में भारत की ओर से डिप्लोमैटिक नैरेटिव को मजबूती से पेश करें। लेकिन कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने जब राहुल गांधी द्वारा तय 4 नामों की सूची सार्वजनिक की, उसमें थरूर का नाम नहीं था।
कांग्रेस की ओर से भेजे गए नाम:
आनंद शर्मा (पूर्व केंद्रीय मंत्री)
गौरव गोगोई (उप नेता, लोकसभा)
डॉ. सैयद नसीर हुसैन (राज्यसभा सांसद)
राजा बरार (लोकसभा सांसद)
थरूर का नाम नदारद, जबकि वे विदेश नीति और वैश्विक मामलों के दिग्गज माने जाते हैं।
थरूर को क्यों चुना सरकार ने?
थरूर पूर्व में UN डिप्लोमैट रहे हैं। उनका अंतरराष्ट्रीय कद और संप्रेषण क्षमता बेहतरीन है। मोदी सरकार उन्हें एक बाइपार्टिज़न चेहरे के रूप में पेश करना चाहती है ताकि भारत का पक्ष विश्व मंच पर राजनीतिक एकता के साथ जाए।
अब शुरू होगा कांग्रेस में नया घमासान?
क्या थरूर को राहुल खेमे से बाहर माना जा रहा है?
क्या यह फैसला कांग्रेस की आंतरिक राजनीति का संकेत है?
क्या थरूर अब खुद स्थिति स्पष्ट करेंगे या चुप्पी साधेंगे?