‘नकल के लिए अकल चाहिए’: ओवैसी की एक लाइन से हिल गया पूरा पाकिस्तान, रिजिजू ने किया सलाम
Owaisi on Pakistan: कुवैत में असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान की झूठी फर्जी तस्वीरों और दावों को लेकर करारा हमला बोला। केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने उनका वीडियो शेयर करते हुए कहा – पाकिस्तान की पोल खोल दी। जानिए क्या है पूरा मामला।

कुवैत में एक कार्यक्रम के दौरान एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ ऐसा कहा, जिसने न केवल भारतीय प्रवासियों के बीच तालियों की गूंज भर दी, बल्कि भारत में भी बड़ी हलचल मचा दी। ओवैसी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और वहां की सेना पर तीखा तंज कसते हुए कहा – "नकल के लिए भी अकल चाहिए, जो नालायकों के पास नहीं होती।"
पाकिस्तान को बताया ‘बेवकूफ जोकर’
अपने सटीक शब्दों और धारदार बयानबाज़ी के लिए मशहूर ओवैसी ने पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख असीम मुनीर को 'बेवकूफ जोकर' कह डाला। उनका ये बयान पाकिस्तान द्वारा एक फर्जी तस्वीर को ‘भारत पर जीत’ की घोषणा के रूप में प्रचारित करने पर आया। दरअसल, हाल ही में पाक सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री को एक स्मृति चिन्ह सौंपा, जिसमें भारत पर विजय की बात कही गई थी। बाद में सामने आया कि वह तस्वीर 2019 के एक चीनी सैन्य अभ्यास की थी – यानी पूरी की पूरी कहानी जालसाजी पर टिकी थी।
रिजिजू ने की ओवैसी की तारीफ, बोले – "सच को शब्द मिल गए"
ओवैसी के बयान ने जैसे भारत की जनता की भावना को शब्द दे दिए। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने ओवैसी का यह वीडियो ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा – “पाकिस्तान की तो पोल ही खोल दी।” आमतौर पर अलग-अलग विचारधाराओं के नेताओं में जब ऐसी प्रशंसा होती है, तो यह न सिर्फ हैरान करती है, बल्कि संदेश भी देती है कि देशहित में सच्चाई को स्वीकारना सबसे बड़ी ज़रूरत है।
पाकिस्तान की छवि को लगातार झटके
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ झूठे प्रचार का सहारा लिया हो। इससे पहले उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने ब्रिटेन के एक अखबार की फर्जी रिपोर्ट को भारत के खिलाफ एयर स्ट्राइक की उपलब्धि के तौर पर प्रचारित किया। लेकिन जल्द ही खुद पाकिस्तानी मीडिया ने उनकी पोल खोल दी। ऐसे कई मौके रहे हैं जब पाकिस्तान ने फेक न्यूज़ का सहारा लेकर दुनिया की नजरों में खुद को मज़ाक बना लिया।
क्या यह एक नया राजनीतिक समीकरण है?
ओवैसी की यह सख्त भाषा, और उस पर केंद्रीय मंत्री की प्रतिक्रिया, इस ओर इशारा करती है कि राष्ट्रीय हितों पर विचारधाराओं की दीवारें भी कमजोर पड़ जाती हैं। कुवैत की जमीन पर जो बात कही गई, वह आज भारतीय सोशल मीडिया और समाचार जगत में गूंज रही है।