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वामपंथी हिंसा के शिकार C सदानंदन मास्टर अब बने राज्यसभा सांसद,राष्ट्रपति ने किया नामित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 4 नई हस्तियों को राज्यसभा में नामित किया

C सदानंदन मास्टर, वामपंथी हिंसा के शिकार संघ कार्यकर्ता की कहानी

वामपंथी हिंसा के शिकार C सदानंदन मास्टर अब बने राज्यसभा सांसद,राष्ट्रपति ने किया नामित

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 जुलाई को 4 प्रसिद्ध व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है।
इनमें शामिल हैं: पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम (जिन्होंने अजमल कसाब के खिलाफ केस लड़ा), इतिहासकार मीनाक्षी जैन, और सबसे खास नाम – केरल के सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक सी सदानंदन मास्टर। 

कौन हैं C सदानंदन मास्टर?
केरल के त्रिशूर जिले के निवासी, पेशे से शिक्षक, 1999 से सामाजिक विज्ञान पढ़ा रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष और प्रकाशन के संपादक, 1994 में वामपंथी हिंसा का शिकार – दोनों पैर काट दिए गए थे। फिर भी संघ और राष्ट्र के लिए सेवा जारी रखी। राजनीतिक हिंसा के मुद्दों पर हमेशा मुखर रहे हैं। सदानंदन का विवाह वनिता रानी से हुआ है, जो स्वयं एक शिक्षिका हैं। उनकी बेटी यमुना भारती बी.टेक. की छात्रा है। उनका परिवार केरल में शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय रहा है। 

1994 की घटना – जब सदानंदन मास्टर के दोनों पैर काट दिए गए। 25 जनवरी 1994 को कन्नूर में उनके घर के पास वामपंथी कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला किया। दोनों पैर काट दिए गए। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 30 साल थी। इस घटना के बावजूद उनका जज्बा टूटा नहीं। वह केरल में राजनीतिक शांति और राष्ट्र सेवा के लिए लगातार सक्रिय रहे।

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदानंदन मास्टर को बधाई देते हुए कहा—
"उनका जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की मिसाल है। हिंसा भी उनके राष्ट्र प्रेम को डिगा नहीं सकी। शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनका योगदान सराहनीय है।"

क्यों है ये नियुक्ति खास?
राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा 12 सदस्यों को मनोनीत करने का प्रावधान है। लेकिन इस बार सदानंदन मास्टर का नाम चर्चा में है क्योंकि वो वामपंथी हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाले संघ के पहले ऐसे कार्यकर्ता हैं जिनको राज्यसभा भेजा गया है।

राजनीतिक संदेश क्या है ?
विशेषज्ञों का मानना है कि केरल में वामपंथी राजनीति के खिलाफ यह एक बड़ा संदेश है। सदानंदन मास्टर की नियुक्ति से भाजपा और संघ ने संकेत दिया है कि वह केरल में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए सक्रिय है।