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BJP को क्यों फिर से याद आईं वसुंधरा राजे?, कर रही बड़ी तैयारी, जानें पूरा सच

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर राजस्थान की सियासत में सक्रिय नजर आ रही हैं। पद, मद और कद वाले बयान से उन्होंने पार्टी के भीतर संदेश दे दिया है कि वे अब किनारे नहीं बैठने वालीं।

BJP को क्यों फिर से याद आईं वसुंधरा राजे?, कर रही बड़ी तैयारी, जानें पूरा सच

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भले सत्ता से दूर हो लेकिन उनकी मौजूदगी अच्छे-अच्छे की कुर्सी हिलाकर रख देती है। बीते दिन अधिकारियों की लापरवाही पर किये गए महारानी के ट्वीट से ऐसी आंधी कि राज्य सरकार हिल गई। यहां तक केंद्र ने रिपोर्ट तलब कर ली। 2018 में मिली हार के बाद से राजे ने राजनीतिक जीवन से दूरी बनाई लेकिन वह फिर से सक्रिय होती दिखाई दे रही हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर उनका एक बयान वायरल है, जो उन्होंने बीते महीने यानी मार्च में दिया। इस दौरान अपने सियासी जीवन पर उन्होंने बड़ी बात कही थी। 

जब पार्टी नेताओं को राजे ने दिया संदेश 

जनसभा को संबोधित करते हुए राजे ने कहा, राजनीति में पद, मद और कद के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जब किसी को इन तीनों चीजों का घमंड हो जाता है तो उसका सम्मान भी कम होता है। इस दौरान महारानी ने किसी का नाम नहीं लिया था, लेकिन इसे बीजेपी के कई नेताओं से जोड़कर देखा गया। जबकि इससे पहले जब वह मदन राठौड़ के अध्यक्ष बनने के कार्यक्रम में जयपुर पहुंची थी। उस दौरान भी, उन्होंने राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव की बात कही थी, और कहा था ये तो हर नेता की जिंदगी में आता है। 

वसुंधरा ने माना सियासी सफर है मुश्किल !

एक के बाद एक राजे के सामने आये बयानों से लगने लगा था, वह मान रही है कि इस वक्त उनका समय थोड़ा उतार-चढ़ाव वाला है। हालांकि वह आश्वस्त है जल्द ही सबकुछ ठीक भी हो जाएगा। अगर देखा जाए तो ये सही भी लग रहा है, 2018 से लेकर 2023 के विधानसभा चुनावों तक राजे की आलाकमान से अनबन जगजाहिर रही। लेकिन फिर वह पार्टी के हर कार्यक्रम में शामिल हो रही हैं। यहां तक शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के लिए कई बार दिल्ली दौरा भी कर चुकी हैं। 

बीजेपी के लिए क्यों जरूरी राजे ?

बीजेपी अक्सर नये चेहरों को मौका देती आई है। छत्तीसगढ़,एमपी और राजस्थान इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। कई राजनीतिक एक्सपर्ट्स मान रहे थे, पुराने कार्यकर्ता और अनुभवी नेता सरकार के इस फैसले से खुश नहीं थे। जिसमें वसुंधरा राजे भी शामिल थीं। हालांकि उनकी एक भी नहीं सुनी गई। यहां तक चुनाव भी पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा गया। बताया जाता है, भले बीजेपी ने राजे को किनारे कर चुनाव लड़ा हो लेकिन कई सीटों पर हार का सामना केवल इसलिए करना पड़ा क्योंकि महारानी नाराज थीं। ये बात शीर्ष नेतृत्व भी समझ चुका है और जानते हैं, राजस्थान की राजनीति में राजे की अनदेखी करना बीजेपी के पक्ष में नहीं है। शायद यही वजह है महारानी फिर से सियासत में सक्रिय नजर आ रही हैं।