पाकिस्तान की बर्बादी की कहानी कहते हैं जोधपुर के टैंक, मैदान छोड़ भाग गई पाक सेना
1971 के भारत-पाक युद्ध में जोधपुर लाए गए पाकिस्तानी पैटन टैंक आज भी पाकिस्तान की हार और भारतीय वीरता की कहानी बयां करते हैं। जानिए पूरी कहानी।

जोधपुर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश है। ऐसे वक्त में इतिहास फिर से गूंज उठा है वह इतिहास जब पाकिस्तान ने युद्ध के मैदान में घुटने टेक दिए थे। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में, जहां एक ओर पाकिस्तान ने अपने उन्नत T-59 पैटन टैंकों पर भरोसा किया था, वहीं भारतीय जांबाजों ने अपनी वीरता से उसे धूल चटाई थी।
जंग का वो दिन जब पाकिस्तान के टैंक मैदान छोड़कर भागे
लोंगेवाला की ऐतिहासिक लड़ाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की रणनीति को नेस्तनाबूद कर दिया था। पाकिस्तानी सैनिक अपने पैटन टैंक छोड़कर जान बचाकर भागे। यह वही टैंक थे जिनके बल पर पाकिस्तान ने युद्ध जीतने का सपना देखा था। लेकिन जज्बे और जुनून के सामने तकनीक भी घुटने टेक गई।
जोधपुर की सड़कों पर बिखरी है पाकिस्तान की हार की कहानी
युद्ध के बाद जोधपुर के सलोड़ी गांव के जोराराम बिश्नोई ने छोड़े गए टैंकों को 13 दिन की अथक मेहनत से एकत्र कर जोधपुर पहुंचाया। आज भी ये दो पैटन टैंक जोधपुर के महावीर उद्यान और बनाड़ रोड पर गर्व से खड़े हैं। ये टैंक न सिर्फ पाकिस्तान की हार की निशानी हैं, बल्कि भारत की अडिग वीरता का प्रतीक भी हैं।
आज भी पाकिस्तान की धमकियों पर मुस्कुराते हैं जोधपुर के युवा
हर गुजरती पीढ़ी इन टैंकों को देखकर समझती है कि जब कभी पाकिस्तान ने भारत को चुनौती दी, उसका हश्र क्या हुआ। आज भी जब पाकिस्तान की ओर से युद्ध की गीदड़भभकियां सुनाई देती हैं, तो जोधपुर के युवाओं के चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान खिल जाती है। उन्हें यकीन है कि भारत का साहस हर बार दुश्मनों को शिकस्त देगा।