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भारत का दुश्मन खल्लास होने की कगार पर! लश्कर का को-फाउंडर आमिर हमजा अस्पताल में तड़प रहा

मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के को-फाउंडर आमिर हमजा पर हुआ रहस्यमय हमला, लाहौर में जिंदगी की आखिरी सांसें गिन रहा है। जानिए उसकी खतरनाक कहानी।

भारत का दुश्मन खल्लास होने की कगार पर! लश्कर का को-फाउंडर आमिर हमजा अस्पताल में तड़प रहा

लाहौर की एक रात, अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट में हड़कंप मचा हुआ था। खून से लथपथ एक अधेड़ उम्र का आदमी स्ट्रेचर पर लाया गया माथा फटा हुआ, नाक से बहता खून, शरीर जख्मों से चूर। उसके चारों तरफ सेना के जवान तैनात थे। नर्सें फुसफुसा रहीं थीं  "ये वही है... आमिर हमजा!"

जी हां, वही आमिर हमजा, जिसे भारत का सबसे मोस्ट वांटेड आतंकी माना जाता है। वही हमजा जो लश्कर-ए-तैयबा का को-फाउंडर है, और हाफिज सईद का राइट हैंड भी रहा है। पाकिस्तान के गुजरांवाला का ये रहने वाला आतंकी, भारत में मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है। और अब वो एक अस्पताल के बिस्तर पर मौत से जंग लड़ रहा है।

उस शाम क्या हुआ था?
मंगलवार की शाम, लाहौर के एक लोकल हॉस्पिटल में अफवाह उड़ती है कि किसी बड़े शख्स पर जानलेवा हमला हुआ है। मीडिया चुप, पुलिस खामोश, पर सेना हरकत में। कुछ ही घंटों में पुष्टि होती है आमिर हमजा को गंभीर हालत में मिलिट्री बेस अस्पताल में शिफ्ट किया गया है।

उसके सिर, नाक और शरीर के अन्य हिस्सों पर गहरी चोटें हैं। लेकिन सवाल यह है कि उसे मारा किसने? कोई गोली नहीं सुनी गई, कोई बम नहीं फटा, फिर ये खून कहां से आया? किसी को कुछ नहीं पता। या यूं कहें, कोई कुछ बताना नहीं चाहता।

कौन है ये आमिर हमजा?
कभी पाकिस्तान की सड़कों पर सूट-बूट में घूमने वाला आमिर हमजा, 1980 के दशक से भारत का खून पी रहा है। हाफिज सईद और अब्दुल रहमान मक्की के साथ मिलकर उसने लश्कर-ए-तैयबा की नींव रखी थी। उसका सपना था  “भारत में आतंक फैलाना, कश्मीर को अलग करना।”

मुंबई अटैक हो या कश्मीर में तीर्थयात्रियों पर हमले, ड्रोन से हथियार भेजना हो या नए आतंकियों की भर्ती, हर जगह हमजा की छाया थी। जमात-उद-दावा, लश्कर का मुखौटा संगठन, उसका चेहरा था। फंडिंग से लेकर ब्रेनवॉशिंग तक, सब में वह माहिर था।

2012 में अमेरिका ने उसे इंटरनेशनल टेररिस्ट घोषित किया। लेकिन पाकिस्तान में वो आराम से जिंदगी जी रहा था, जब तक कि यह हमला नहीं हुआ।

हाफिज सईद से दरार
2018, आमिर हमजा और हाफिज सईद के रिश्तों में खटास आ गई। वजह थी – पैसा। इंटरनेशनल दबाव में पाक सरकार ने लश्कर की फंडिंग रोक दी। हमजा चाहता था कि सईद सरकार पर दबाव बनाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमजा ने अपना नया आतंकी संगठन जैश-ए-मनक्फा बना लिया – फंडिंग और ब्रेनवॉशिंग के लिए।

वह ऑपरेशन से दूरी बना चुका था, लेकिन जहर घोलना बंद नहीं किया था। सोशल मीडिया, ब्रेनवॉशिंग सेमिनार, और युवाओं को गुमराह करने का काम, अब भी करता था।

हमले के पीछे कौन?
ये अब भी रहस्य है।
क्या ISI ने ही उसे रास्ते से हटाने की कोशिश की?
या कोई आंतरिक गुट था जो उससे नाराज़ था?
या फिर वही रहस्यमयी 'अज्ञात हाथ' जो पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान में आतंकियों को निशाना बना रहा है?

किसी को जवाब नहीं मालूम। लेकिन एक बात तय है आमिर हमजा की कहानी अब अंतिम अध्याय में है।

भारत के लिए क्या मायने?
जिस आतंकी ने मुंबई में 166 लोगों की जान ली, जिसने कश्मीर को बारूद का मैदान बनाया, जिसने भारत को बार-बार ललकारा, वही अब अस्पताल के बिस्तर पर तड़प रहा है। उसके होंठ कांप रहे हैं, पर अब किसी 'जिहाद' का नारा नहीं निकलता। वो बस आंखों से आसमान की तरफ देखता है, मानो अब भी खुदा से एक और मौका मांग रहा हो। लेकिन शायद अब बहुत देर हो चुकी है।