ऑपरेशन सिंदूर की गूंज दिल्ली से दुनिया तक… चीन बाहर, तुर्की को भारत ने दिखाया ‘डिप्लोमैटिक दरवाजा’
Operation Sindoor global briefing: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने 70 देशों को ब्रीफिंग में बुलाया, चीन को बाहर रखा और तुर्की के स्तरहीन प्रतिनिधित्व को ठुकराया। भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक संदेश अब वैश्विक चर्चा में है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सेना की साहसिक कार्रवाई ने आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत अब सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि कार्रवाई में विश्वास करता है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह की गई सैन्य कार्रवाई को लेकर दिल्ली में 70 देशों के रक्षा प्रतिनिधियों के लिए एक गोपनीय ब्रीफिंग आयोजित की।
इसमें भारत ने अपनी सैन्य, साइबर और रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन किया मगर संदेश जितना भीतर था, उससे कहीं ज़्यादा गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर थी, क्योंकि चीन को इस बैठक से बाहर रखा गया और तुर्की के गैर-गंभीर रवैये को सिरे से खारिज कर दिया गया।
चीन को क्यों नहीं बुलाया गया? रणनीतिक चुप्पी या स्पष्ट विरोध?
चीन पाकिस्तान का सबसे करीबी सामरिक साझेदार है। पाकिस्तान की सैन्य तैयारी में चीन की तकनीक और हथियारों की बड़ी भूमिका है। ऐसे में भारत की ओर से चीन को इस ब्रीफिंग में आमंत्रित नहीं किया जाना एक रणनीतिक निर्णय था।
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तानी सीमा में मौजूद चीन निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय किया था, जिसकी जानकारी जाहिर तौर पर चीन के सामने उजागर करना रणनीतिक रूप से नुकसानदायक होता।
तुर्की का झटका और भारत का कड़ा संदेश
दूसरा बड़ा संदेश तुर्की को गया पाकिस्तान का ‘ऑल वेदर फ्रेंड’। भारत ने उसे ब्रीफिंग में आमंत्रण तो भेजा, लेकिन जब तुर्की की ओर से एक जूनियर प्रतिनिधि को भेजने की बात सामने आई, तो भारत ने उस निमंत्रण को वापस ले लिया।
मतलब साफ था:
“अब भारत तय करेगा कि दोस्त कौन है और दुश्मन कौन अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर।”
लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा की ब्रीफिंग ने खोली पाकिस्तान की पोल
लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा ने ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग के दौरान बताया कि कैसे:
सेना, वायुसेना और नौसेना के अलावा
स्पेस, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट्स ने
एक संयुक्त सैन्य अभियान चलाया और
टेरर हब्स को सटीकता से निशाना बनाया गया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन किसी देश के नागरिकों के खिलाफ नहीं, बल्कि सीधे आतंकवाद के खिलाफ था।
डिप्लोमेसी में भारत का नया रूप
इस ब्रीफिंग के जरिए भारत ने यह भी दिखाया कि सूचना युद्ध (Information Warfare) में भी अब वह पाकिस्तान से कई कदम आगे है। पाकिस्तान की झूठी प्रचार प्रणाली को तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर पूरी तरह बेनकाब किया गया।