पाकिस्तानी बमों को मात देने वाला मंदिर! जानिए तनोट माता की चमत्कारी कहानी
22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले का बदला भारत ने ले लिया है। इसी के बीच राजस्थान के तनोट माता मंदिर की कहानी फिर चर्चा में है, जहां 3000 बम गिरने के बावजूद मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। जानिए मंदिर से जुड़ी पूरी चमत्कारी कहानी।

Opration Sindoor: 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 22 टूरिस्ट को बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया था। जिसका बदला आखिरकार भारतीय सेना ने ले लिया। इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान के घर में घुसकर दहशतगर्दो के ठिकाने मिटा दिए। इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर का परिवार भी मारा गया है। वहीं, इस हमले के बाद भारत में हाईअलर्ट है। पाकिस्तान से बॉर्डर शेयर करने वाले राज्यों को चौकन्ना रहने के लिए कहा गया हैष इसी बीच एक ऐसे मंदिर की चर्चा हो रही है जहां कभी 3000 से ज्यादा बम गिरे लेकिन कभी ब्लास्ट नहीं हुए आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे।
दरअसल यह मंदिर कहीं और नहीं बल्कि राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है। गौरतलब है, राजस्थान पाकिस्तान के साथ अपना बॉर्डर शेयर करता है। यहीं इंडियन पाकिस्तान सीमा पर एक मंदिर है। जहां इतिहास में हुए युद्ध के दौरान 3000 से ज्यादा बंद गिराए गए थे लेकिन मंदिर पर एक भी असर नहीं हुआ। कहा जाता है इस मंदिर में गिरे ज्यादातर बम फुस्स हो गए।
आखिर क्यों खास है तनोट माता मंदिर?
इस मंदिर का नाम तनोट माता मंदिर है जो इंडियन पाकिस्तान सीमा पर स्थित है। यह मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। बताया जाता है 1965 और 1971 के दौरान पाकिस्तान सेना ने मंदिर को भी निशाना बनाया था और एक के बाद एक कई बम दागे थे लेकिन मंदिर पर इसका कोई असर नहीं हुआ और मंदिर अभी भी वैसे ही खड़ा है। बताया तो ये भी जाता है कि यहां पर जो बम गिराए गए थे। वह अभी भी माता के म्यूजियम में रखे हुए हैं।
सेवा के जवान करते हैं मंदिर की देखभाल
पाकिस्तान आर्मी कभी अपनी हरकतों से बाज नहीं आती है। वह भारत को हमेशा उकसाने की कोशिश करती आई है। 1965 में भी इसी इरादे से पाकिस्तान सेना ने मंदिर को निशाना बनाया था। रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान सेना तीन किलोमीटर अंदर तक आ गई थी लेकिन भारतीय जवानों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तान सेना को बाहर खदेड़ दिया था। इसके बाद से मंदिर की रक्षा की जिम्मेदारी BSF को दे दी गई और यहां पर हर वक्त जवान मौजूद रहते हैं साथ ही मंदिर में आरती से लेकर पूजा अर्चना भी वही करते हैं।