भारत से लड़ने निकले, पीछे से बलूचिस्तान ने पाकिस्तान को तोड़ा... केच और पंजगुर में कब्जा
बलूच लड़ाकों ने पाकिस्तान सेना को जोरदार झटका देते हुए केच और पंजगुर जिलों को अपने कब्जे में ले लिया है। जानिए बलूचिस्तान के भीतर चल रही इस बगावत की पूरी कहानी।

जब पाकिस्तान भारत से जंग की तैयारी में मशगूल है, उसी वक्त उसके अपने घर में आग लग चुकी है। बलूचिस्तान की धरती पर एक बार फिर संघर्ष की लपटें उठ रही हैं, लेकिन इस बार लपटों के साथ ललकार भी है। और ये ललकार आई है बलूच लड़ाकों की तरफ से, जिन्होंने पाकिस्तान की असीम मुनीर वाली सेना को ऐसा झटका दिया है, जिसकी गूंज इस्लामाबाद तक सुनाई दे रही है।
केच और पंजगुर: अब पाकिस्तान के नहीं रहे?
बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, बलूच लड़ाकों ने केच और पंजगुर जिलों को अपने नियंत्रण में लेने की घोषणा कर दी है। इन इलाकों में पहले नाकेबंदी की गई, फिर थानों और सरकारी दफ्तरों पर धावा बोलकर वहां मौजूद अफसरों और जवानों को बुरी तरह पीटा गया। कुछ ऑफिसों को आग के हवाले कर दिया गया, जिसके बाद पाकिस्तान सेना और प्रशासन के लोग वहां से भाग निकले।
'अब यह हमारा इलाका है' – लड़ाकों की खुली घोषणा
केच और पंजगुर में हमला करने के बाद बलूच लड़ाकों ने इन जिलों को "आज़ाद बलूचिस्तान का हिस्सा" घोषित कर दिया है। स्थानीय जनता का भी समर्थन इन लड़ाकों को मिल रहा है, जिससे पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियां सकते में हैं।
लासबेला में गोलीबारी, तीन की मौत
तीसरा हमला लासबेला जिले में हुआ, जहां विरोध कर रहे तीन नागरिकों को गोली मार दी गई। ये घटना बताती है कि स्थिति केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि पूरी तरह सैन्य संघर्ष में बदल चुकी है।
भीतर जल रहा है पाकिस्तान, बाहर लड़ने को उतावला
पूर्व गृह मंत्री फजलुर रहमान की तीखी चेतावनी अब सुरसा की तरह फैलती बेचैनी को उजागर कर रही है। उनका सवाल है — "भारत से जंग लड़ने की तैयारी कर रहे हो, लेकिन बलूचिस्तान, खैबर और गिलगिट में अंदर की आग कौन बुझाएगा?"
सरकार की रिहाई भी काम न आई
पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में 150 बलूच आंदोलनकारियों को रिहा करने का फैसला लिया, लेकिन यह कदम धरातल पर बेअसर साबित हुआ। आंदोलन थमने की बजाय और तेज हो गया है, और अब सरकार के लिए दो मोर्चों पर लड़ाई मुश्किल होती जा रही है।