जयपुर जेल से 4 कैदियों की भागने की प्लानिंग में पुलिस भी शामिल! होटल, अय्याशी और रिश्वत की परतें खोल रही है जांच
जयपुर सेंट्रल जेल से कैदियों के भागने की साजिश में पुलिसकर्मियों की मिलीभगत उजागर हुई है। 13 लोग गिरफ्तार, जिनमें 5 पुलिसकर्मी और 4 कैदियों के रिश्तेदार शामिल। जानिए कैसे बनी पूरी प्लानिंग और कैसे हुआ खुलासा।

राजस्थान की राजधानी जयपुर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां सेंट्रल जेल से चार खतरनाक अपराधियों को भगाने की साजिश में खुद पुलिसकर्मी शामिल पाए गए। इस पूरी योजना को पुलिस ने ऐन वक्त पर नाकाम कर दिया और अब तक 13 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, जिनमें 5 पुलिसकर्मी और कैदियों के 4 रिश्तेदार भी शामिल हैं।
कैदियों ने SMS अस्पताल का बहाना बनाया
जांच में सामने आया है कि चारों कैदियों ने बीमारी का बहाना बनाकर SMS अस्पताल में रेफर होने की पर्ची जेल के चिकित्सा अधिकारी और सेवादार की मदद से हासिल की थी। लेकिन अस्पताल पहुंचने के बजाय चालानी गार्डों ने उन्हें शहर के अलग-अलग होटलों में छोड़ दिया, जहां से वे अपने परिचितों और महिला मित्रों से मिलने चले गए।
अय्याशी और अपराध का गठजोड़
चारों बंदी रफीक उर्फ बकरी (हत्या का आरोपी), भंवरलाल यादव (दुष्कर्म), अंकित बंसल और करण गुप्ता (धोखाधड़ी) ने इस मौके को महज भागने के लिए नहीं, बल्कि अय्याशी के लिए इस्तेमाल किया। रफीक अपनी पत्नी हिना से होटल में मिला, जो उसके लिए चरस और मोबाइल लेकर आई थी। वहीं, अंकित और करण अपनी प्रेमिकाओं से मिलने गए, हालांकि उनमें से एक महिला फरार हो गई।
गिरफ्तारी और खुलासा
पुलिस ने समय रहते इस योजना की भनक लगा ली और स्पेशल टीमें बनाकर बंदियों की तलाश शुरू की। दो कैदी जयपुर एयरपोर्ट के पास, बाकी दो सिंधी कैंप और जालूपुरा के होटल से पकड़े गए। साथ ही जिन पुलिसकर्मियों की मिलीभगत पाई गई है, उनके नाम हैं, सुरेश मीणा (हेड कांस्टेबल), मनोज जाट, दिनेश यादव, अमित यादव और विकास जाट। ये सभी जयपुर पुलिस लाइन में तैनात थे।
जेल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल
इस मामले ने न केवल पुलिस की कार्यशैली पर, बल्कि जेल प्रशासन की सुरक्षा प्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब लालकोठी थाना पुलिस इस पूरे केस की गहराई से जांच कर रही है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और नाम सामने आएंगे।