लैंड उपायुक्त हंसा मीणा समेत चार अधिकारी सस्पेंड
जयपुर हैरिटेज निगम में फर्जी पट्टा घोटाले का आरोप
सर्वे नंबरों में हेरफेर कर फर्जी तरीके से पट्टे जारी किए

जयपुर। जयपुर नगर निगम हैरिटेज में करोड़ों की जमीन को लेकर सामने आए फर्जी पट्टा घोटाले में बड़ी कार्रवाई हुई है। स्वायत्त शासन विभाग ने निगम की पूर्व लैंड उपायुक्त हंसा मीणा समेत चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह घोटाला नेहरू नगर पानीपेच क्षेत्र की बेशकीमती जमीन से जुड़ा है, जहां सर्वे नंबरों में हेरफेर कर गलत तरीके से पट्टे जारी किए गए। जांच का दायरा भी बढ़ सकता है, क्योंकि अब सरकार को रिपोर्ट भेजने की तैयारी की जा रही है।
जांच के बाद कार्रवाई, चार अधिकारी सस्पेंड
निलंबित अधिकारियों में पूर्व लैंड उपायुक्त हंसा मीणा, कनिष्ठ अभियंता मनोज मीणा, लेखाकार मुकेश मीणा, और कनिष्ठ सहायक शंकर मीणा शामिल हैं। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि यह मामला नेहरू नगर पानी पेच क्षेत्र की बेशकीमती जमीन से जुड़ा है, जहां इन निगम अधिकारियों ने सर्वे नंबर में हेरफेर और मिलीभगत कर फर्जी तरीके से पट्टे जारी कर दिए थे। इनमें से 35 में से 10 पट्टों की रजिस्ट्री भी हो चुकी थी।
पार्षद की शिकायत पर बनी जांच समिति
स्थानीय पार्षद सुभाष व्यास की शिकायत के बाद नगर निगम आयुक्त डॉ. निधि पटेल ने इस मामले की जांच के लिए एडिशनल कमिश्नर की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही सख्त कार्रवाई करते हुए सभी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
निलंबन के बाद बीकानेर में तैनाती
चारों निलंबित अधिकारियों को बीकानेर के उपनिदेशक (क्षेत्रीय) कार्यालय में सस्पेंशन अवधि के दौरान पदस्थ किया गया है। वहीं, स्वायत्त शासन विभाग अब इस पूरे मामले की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने की तैयारी में है।
निष्पक्ष जांच की मांग
पार्षद सुभाष व्यास ने कहा, “यह घोटाला सिर्फ चार अधिकारियों तक सीमित नहीं है। इसके पीछे और भी बड़े नाम शामिल हो सकते हैं।” उन्होंने मामले की CBI जैसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाने और सभी दोषियों को जेल भेजने की मांग की है।
पहले भी विवादों में रही हैं हंसा मीणा
बता दें कि हंसा मीणा इससे पहले भी विवादों में रह चुकी हैं। वह नगर निगम में सचिव और मेयर कुसुम यादव की ओएसडी भी रही हैं। उनके खिलाफ लैंड शाखा में अनियमितताओं को लेकर पूर्व में भी तबादला हुआ था, लेकिन कोर्ट से स्टे लेकर वे दोबारा निगम में लौट आई थीं।