Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

और देखें
विज़ुअल स्टोरी

जोधपुर में खाद्य सुरक्षा योजना का बड़ा घोटाला, 2 हजार क्विंटल गेहूं गबन की आशंका

Jodhpur Wheat Scam 2025: जोधपुर में खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के तहत बड़ा घोटाला सामने आया है। शहर की 50 राशन दुकानों पर 2 हजार क्विंटल गेहूं के गबन की आशंका जताई जा रही है। राशन डीलर्स का आरोप है कि ठेका फर्म ने बिना गेहूं दिए ही POS मशीन में स्टॉक अपडेट करवा लिया और ओटीपी व रसीद ले ली। डीएसओ ने इस मामले में जांच कमेटी गठित कर दी है, जो रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी।

जोधपुर में खाद्य सुरक्षा योजना का बड़ा घोटाला, 2 हजार क्विंटल गेहूं गबन की आशंका

राजस्थान के जोधपुर शहर में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत बड़ा घोटाला सामने आया है। शहर की लगभग 50 राशन दुकानों पर 2 हजार क्विंटल गेहूं के गबन की आशंका जताई जा रही है। राशन डीलर्स का आरोप है कि ठेका फर्म जयश्री एंटरप्राइजेज ने बिना गेहूं दिए ही पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीन में स्टॉक अपडेट करवा दिया और ओटीपी व रसीद ले ली।

प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद भी नहीं निकला समाधान
जब राशन डीलर्स को उनके आवंटित गेहूं की आपूर्ति नहीं मिली, तो उन्होंने ठेका फर्म से संपर्क किया। शुरुआत में उन्हें आश्वासन दिया गया कि गेहूं जल्द ही भेजा जाएगा, लेकिन अब ठेका फर्म पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट गई है। इस गड़बड़ी को लेकर डीलर्स ने डीएसओ कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगें रखीं। इसके बाद डीएसओ प्रथम अंजुम ताहिर समां ने ठेका फर्म और खाद्य आपूर्ति निगम जोधपुर के अधिकारियों के साथ बैठक की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

जांच कमेटी गठित, दोषियों पर हो सकती है कार्रवाई
डीलर्स की लिखित शिकायत मिलने के बाद डीएसओ ने इस मामले की जांच के लिए दो कमेटियों का गठन किया। प्रत्येक कमेटी में तीन-तीन अधिकारी शामिल हैं, जो राशन डीलर्स के स्टॉक की फिजिकल वैरिफिकेशन करेगी और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार व जिला कलेक्टर को सौंपेगी। अब यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि इस गबन की भरपाई कैसे की जाएगी और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी।

जनता को हो रही भारी परेशानी
इस गबन का सबसे ज्यादा असर आम जनता पर पड़ा है। राशन डीलर्स के पास 100 किलो से 5000 किलो तक गेहूं की कमी पाई गई है। मार्च महीने का राशन हजारों लोगों तक नहीं पहुंच पाया। कई परिवारों को अनाज के बिना रहना पड़ रहा है। भीतरी शहर के कई राशन डीलर्स पूरी तरह से खाली हाथ बैठे हैं।

जनता और डीलर्स की उम्मीदें प्रशासन से
राशन डीलर्स और आम नागरिकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि अगर सरकार गरीबों के लिए राशन भेज रही है, लेकिन वह जरूरतमंदों तक पहुंच ही नहीं रहा, तो आखिर इसका लाभ किसे मिल रहा है? प्रशासन पर इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का दबाव है। देखना होगा कि सरकार इस घोटाले से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है।