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"सिर्फ नौकरी नहीं, नवाचार के लिए भी हो ज्ञान का इस्तेमाल" – RTU दीक्षांत समारोह में बोले राज्यपाल बागडे

Haribhau Bagade Message: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने RTU दीक्षांत समारोह में छात्रों से कहा कि ज्ञान को सिर्फ रोजगार तक सीमित न रखें, बल्कि इसे नवाचार, उद्यमिता और मानवता से जोड़ें।

"सिर्फ नौकरी नहीं, नवाचार के लिए भी हो ज्ञान का इस्तेमाल" – RTU दीक्षांत समारोह में बोले राज्यपाल बागडे

राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी (RTU), कोटा का परिसर मंगलवार को उत्साह और उम्मीदों से भरा हुआ था। 14वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर यहां पहुंचे राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने जब मंच से विद्यार्थियों को संबोधित किया, तो सिर्फ डिग्रियों की बात नहीं हुई — एक गहरा संदेश भी दिया गया।

राज्यपाल ने साफ शब्दों में कहा, “ज्ञान का उपयोग केवल नौकरी पाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए। तकनीक को मानवता से जोड़ना ही आज के युवा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।” उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में तो आगे बढ़ें, लेकिन साथ ही उसमें भारतीय सोच, मूल्यों और संवेदनाओं की झलक भी होनी चाहिए।

इस खास समारोह में कुल 9521 डिग्रियाँ और पुरस्कार वितरित किए गए। इनमें 1 चांसलर गोल्ड मेडल, 1 कुलपति गोल्ड मेडल, 20 स्वर्ण पदक और 36 पीएचडी डिग्रियां शामिल थीं। इन उपलब्धियों को देखकर बागडे ने छात्रों को भारत का भविष्य बताते हुए कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने वाले वर्षों में छात्रों के सर्वांगीण विकास की आधारशिला बनेगी।

इस अवसर पर राज्यपाल कोटा विश्वविद्यालय के पहले औद्योगिक-शैक्षणिक सम्मेलन में भी शामिल हुए। उन्होंने पर्यटन को आर्थिक विकास का अहम साधन बताया और भारतीय स्थापत्य कला की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारे मंदिर और स्मारक, हमारी तकनीकी और कलात्मक समझ का अनमोल उदाहरण हैं।

राज्यपाल ने भारतीय वैज्ञानिक इतिहास को लेकर भी अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत की उपलब्धियों को बार-बार विदेशी नामों से जोड़ा गया, जबकि सच्चाई कुछ और है। “मुंबई के शिवकर बापूजी तलपड़े ने राइट ब्रदर्स से 8 साल पहले हवाई जहाज उड़ाया था। वह संस्कृत विद्वान थे और भारत की विमानन परंपरा के गहरे अध्येता भी,” बागडे ने गर्व से कहा।

दीक्षांत समारोह के इस अवसर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होती—वो तब पूरी होती है, जब उसमें उद्देश्य, मूल्य और समाज की सेवा का भाव शामिल हो।