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50 साल बाद फिर याद आया अजमेर का वह बाढ़ का मंजर

1975 की बारिश जैसी तबाही, शहर बना टापू

50 साल बाद फिर याद आया अजमेर का वह बाढ़ का मंजर

अजमेर। राजस्थान के अजमेर में पिछले दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने एक बार फिर लोगों को 50 साल पुरानी बाढ़ की याद दिला दी। 18 जुलाई 1975 अजमेर के इतिहास में दर्ज वह दिन जब एक ही दिन में करीब 750 मिलीमीटर बारिश ने पूरे शहर को टापू में बदल दिया था। अब ठीक 50 साल बाद, 18 जुलाई 2025 की बारिश ने फिर वही मंजर ताजा कर दिया । 

दो दिन से जारी बारिश, शहर में अफरातफरी
इस बार भी बीते दो दिन की झमाझम बारिश ने अजमेर के निचले इलाकों में पानी भर दिया। आना सागर झील ओवरफ्लो हो गई, जिसके चलते चौपाटी दरिया बनती नजर आई। चौपाटी के दोनों ओर पानी भरने से यातायात पूरी तरह बंद हो गया। वैशाली वन विहार कॉलोनी समेत कई इलाकों में SDRF और सिविल डिफेंस की टीमों ने रेस्क्यू कर लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।

1975 की बाढ़: जब नावों से होते थे घरों के सफर
1975 में सुबह 6 बजे से जो बारिश शुरू हुई, वह लगातार 8 घंटे तक थमी नहीं। कचहरी रोड, जयपुर रोड, ब्रह्मपुरी और हाथीभाटा में 10-10 फीट तक पानी भर गया। घरों में रजाई-गद्दे, फर्नीचर, सारा सामान पानी में तैरने लगा। आनासागर झील का जलस्तर 25-26 फीट तक पहुंच गया था। उस समय हालात इतने बिगड़े थे कि शहर में नावें चलानी पड़ी थीं। वैशाली नगर और जनता कॉलोनी के हाउसिंग बोर्ड के मकान तो महीनों तक खाली रहे थे। 

2025 में भी दिखी वही तस्वीर
इस बार भी 18 जुलाई 2025 को हुई मूसलाधार बारिश ने पुराने दर्द को जगा दिया। लोगों ने बताया कि जिसने 1975 की बाढ़ देखी है, वह कभी भूल नहीं सकता। और आज वही हालात फिर सामने हैं। हालांकि इस बार SDRF और जिला प्रशासन की टीमों ने तत्परता दिखाते हुए कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। लेकिन बारिश का पानी शहर के कई इलाकों में अब भी भरा हुआ है।

क्यों बन जाता है अजमेर 'टापू' ?
अजमेर एक पठारी क्षेत्र में बसा हुआ शहर है। चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरे होने के कारण ज्यादा बारिश में पानी रुक जाता है। आना सागर झील, फॉयसागर झील और अन्य जलाशय जब ओवरफ्लो होते हैं, तो शहर में जलभराव की स्थिति विकराल हो जाती है। नालों की सफाई नहीं होने से हालात और बिगड़ते हैं। 

प्रशासन ने यह उठाए कदम 
SDRF, सिविल डिफेंस और पुलिस की टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं। जिला कलेक्टर ने जलभराव वाले इलाकों में स्कूलों की छुट्टी घोषित की है। निचले इलाकों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।

अब सवाल उठता है…
क्या अजमेर फिर उसी दौर में लौट रहा है?
50 साल पहले की त्रासदी से क्या हमने कोई सबक नहीं लिया?
क्या आने वाले दिनों में बारिश का दौर थमने वाला है या और तबाही की आशंका है?
फिलहाल अजमेर के लोग दुआ कर रहे हैं कि हालात काबू में रहें और 1975 जैसी त्रासदी दोबारा न दोहराई जाए।