Ind vs Pak: “बिनय न मानत जलधि.." DGMO ने क्यों किया रामचरितमानस की चौपाई का जिक्र? पाकिस्तान को सीधा संदेश !
भारतीय सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के झूठ की पोल खोलते हुए आतंकियों के ठिकानों पर की गई कार्रवाई के वीडियो दिखाए। एयर मार्शल ने रामचरितमानस की चौपाई पढ़कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया।

Indian Army Press Briefing: पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुआ सीजफायर के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। पाकिस्तानी सेना और सरकार अपनी जनता को बरगलाने से बाज नहीं आ रही है। वो लगातार झूठ बोल रहे हैं। भारत से हुई तनातनी को पाकिस्तान अपनी जीत बता रहा था लेकिन बीते दिन इंडियन आर्मी ने आतंकी ठिकानों को नेस्ताबूत करने के साथ ही एयरबेस तबाह करने के कई वीडियो जारी किये थे। जिसने पाकिस्तान को कही नहीं छोड़ा। एक बार फिर सोमवार को DGMO की संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग हुआ। जहां एक बार फिर पाकिस्तान के झूठ का भारत ने पर्दाफाश कर दिया। इतना ही नहीं, इस दौरान एयर मार्शल एके भारती ने रामचरितमानस की एक चौपाई पढ़कर पाकिस्तान को बड़ा संदेश दिया। सबसे पहले आप ये वीडियो देखिए-
एके भारती ने पढ़ी रामचरितमानस की चौपाई
तीनों सेनाओं के DGMO ने सयुंक्त प्रेस ब्रीफिंग की है। इसकी शुरुआत रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है' के साथ की गई है। जिस पर पत्रकार ने सवाल पूछा, क्या भारतीय सेना कविताओं के जरिए पाकिस्तान को संदेश देना चाहती है। जिसका जवाब देत हुए एयर मार्शल एके भारती ने कहा, विनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीति। समझदार के लिए इशारा ही काफी है।
Again powerful PC!
विनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति।
चौपाई रामायण से है, जिसमें श्री राम ने समुद्र से विनयपूर्वक विनती करने के बाद, जब समुद्र ने उनकी विनती नहीं मानी, तो क्रोध में कहा कि बिना भय के प्रीति नहीं होती
क्या है चौपाई का अर्थ?
रामचरित मानस में । "विनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीति" लिखी चौपाई रामायण से जुड़ी हुई है। भगवान राम सेना के साथ समंदर पार करना चाहते थे। उन्होंने समंदर से कई दिनों तक आग्रह किया लेकिन इसके बाद भी जब कोई फर्क नहीं पड़ा तो श्रीराम ने समंदर के सामने क्रोध दिखाया। उनका क्रोध देख समुद्र में हलचल पैदा हो गई। जिसके बाद समुद्र प्रभु ने प्रकट होकर भगवान श्रीराम से क्षमा मांगी। इस चौपाई की सीख है, अगर जब आग्रह से भी कोई नहीं बनता है तो भय दिखाना जरूरी होता है।