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'हजारों सालों का झगड़ा खत्म हो सकता है?' ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक संघर्षविराम पर ट्रंप का बड़ा बयान

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान ने अमेरिकी मध्यस्थता में संघर्षविराम की घोषणा की। ट्रंप ने इसे ऐतिहासिक बताया और कश्मीर मुद्दे पर 'हजार साल बाद समाधान' की उम्मीद जताई। जानिए इस पूरे घटनाक्रम की अंदरूनी कहानी।

'हजारों सालों का झगड़ा खत्म हो सकता है?' ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक संघर्षविराम पर ट्रंप का बड़ा बयान

भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद उपजे सैन्य तनाव ने पूरे उपमहाद्वीप को हिलाकर रख दिया था। पाकिस्तान द्वारा ड्रोन और मिसाइल हमलों की प्रतिक्रिया में भारत ने कड़ा रुख अपनाया, लेकिन 10 मई को एक अप्रत्याशित मोड़ आया. भारत और पाकिस्तान ने संघर्षविराम की घोषणा कर दी। इस घटनाक्रम में चौंकाने वाला पहलू यह था कि अमेरिका, विशेष रूप से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इस शांति समझौते में मध्यस्थ की भूमिका निभा चुके थे।

रातभर चली बातचीत, सुबह हुआ ऐलान
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, "मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि अमेरिका की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम पर सहमति जताई है।"
उन्होंने दोनों देशों के नेतृत्व को "बुद्धिमान और दूरदर्शी" बताते हुए कहा कि यह निर्णय लाखों निर्दोष जानों को बचा सकता है।

ट्रंप ने कहा, "भारत और पाकिस्तान के पास समझने की शक्ति है कि अब वक्त आ गया है कि वर्तमान हमलों को रोका जाए, जो विनाश और मौत का कारण बन रहे हैं।"

क्या अब कश्मीर विवाद का स्थायी समाधान संभव है?
अपने बयान में ट्रंप ने एक सदी पुरानी उम्मीद जगा दी। उन्होंने कहा, "मैं अब भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार को बढ़ाने की दिशा में काम करूंगा और साथ ही यह देखने की कोशिश करूंगा कि क्या 'हजार साल' से चले आ रहे कश्मीर मुद्दे का कोई समाधान निकल सकता है।" यह बात इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि ट्रंप पहले भी कश्मीर को लेकर मध्यस्थता की बात कर चुके हैं, लेकिन भारत ने हमेशा इसे द्विपक्षीय मुद्दा बताया है।

पीछे की कहानी, कौन-कौन था शामिल?
इस समझौते में केवल राष्ट्रपति ट्रंप ही नहीं, बल्कि अमेरिका के कई शीर्ष अधिकारी शामिल रहे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर बताया कि वे पिछले 48 घंटों से भारत और पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों से लगातार संपर्क में थे।

भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, जबकि पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख असीम मुनीर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार असीम मलिक बातचीत का हिस्सा थे।

डिप्लोमेसी की जीत या रणनीति का विराम?
यह संघर्षविराम युद्ध टालने की दिशा में एक बड़ी कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे एक रणनीतिक ठहराव भी मानते हैं। भारत सरकार की ओर से अभी तक ट्रंप की मध्यस्थता पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इतना तय है कि यह एक बड़ा भू-राजनीतिक घटनाक्रम है जिसका असर आने वाले वर्षों में दिख सकता है।